किरोड़ी मीणा की राजनीति और एक अदद हेलीकॉप्टर
-निरंजन परिहार-
हेलीकॉप्टर से उतरते
वक्त दरवाजे पर खड़े होकर हाथ हिलाते हुए लोगों का अभिवादन स्वीकारते डॉ. किरोड़ी
लाल मीणा उतने सहज नहीं लगते, जितनी वसुंधरा राजे लगती है। पर, डॉ. मीणा का नाम सुनते
ही श्रीमती राजे अचानक अत्यंत असहज हो उठती हैं। आम तौर पर हेलीकॉप्टर भले ही किरोड़ी
से कभी कोसों दूर और वसुंधरा राजे की लाइफ स्टाइल का हिस्सा रहा हो, लेकिन लगातार
हेलीकॉप्टर से समूचे राजस्थान के आकाश को नाप कर डॉ. मीणा अब श्रीमती राजे और उनकी
पूरी बीजेपी की लाइफस्टाइल बदलने पर तुले हुए है। डॉ. मीणा वैसे भी जमीन के आदमी
हैं। वे हेलीकॉप्टर के बजाय कार या जीप से उतरते हुए ज्यादा सहज लगते हैं। सड़क पर
चलना, चौपाल पर जमना, जाजम जमाना और गांवों में घूमना उनको भाता भी है, सुहाता भी
है और लुभाता भी है। लेकिन इन दिनों मीणा, उनका हेलीकॉप्टर और पिछले चुनाव में बीजेपी
जहां बहुत कम वोटों से हारी थी, उन सीटों पर इस बार फिर खेल बिगाड़ने की उनकी राजनीति
सबकी जुबान पर है।
अपनी पढ़ाई के दिनों
से ही राजनीति में आए किरोड़ी लाल मीणा पेशे से डॉक्टर हैं। लेकिन शौक से राजनेता
हैं। एमबीबीएस तक पढ़े हैं और मूल रूप से किसान हैं। वैसे खेती करते हुए उन्हें
किसी ने कभी देखा नहीं और डॉक्टरी करते हुए देखनेवाले भी कम लोग ही होंगे। कुल चार
बार विधायक रहे हैं, और मंत्री भी। देसी अंदाज में भारी भरकरम अंग्रेजी बोलते हैं।
तीस साल की ऊम्र में बीजेपी के जिलाध्यक्ष बन गए थे और बाद में जिला परिषद के
प्रमुख भी। वैसे कायदे से देखा जाए तो जीवन की जरूरत, आदत और शौक के बीच कोई बहुत
बड़ा फासला नहीं होता। शौक कब आदत बन जाए और आदत कब शौक का रूप धर ले, कोई नहीं कह
सकता। लेकिन डॉ. मीणा के तो शौक, आदत, पेशा और जरूरत, सब कुछ राजनीति से शुरू होकर
राजनीति में ही रम जाते हैं। इसीलिए, वे राजनीति करते हुए कभी राजनीति के शिकार हो
जाते हैं तो कभी खुद शिकारी बनकर राजनीति में शिकार तलाशते रहते हैं। फिलहाल उनके
निशाने पर श्रीमती राजे और उनकी राजनीति हैं। वसुंधरा राजे को सरकार में आने से
रोकने का हर प्रयास करने पर वे उतारू हैं।
राजनीतिक ताकत के
मामले में डॉ. मीणा कमजोर कभी नहीं रहे। जीवन भर जिस बीजेपी और संघ परिवार में
रहे, उसे तज कर अब वे दौसा से निर्दलीय सांसद हैं। यही नहीं, पत्नी श्रीमती गोलमा
देवी को महुआ से निर्दलीय विधायक जिताकर राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली
कांग्रेस की सरकार में मंत्री बनने की शर्त पर कांग्रेस का सहारा बनाया। डॉ मीणा दमदार
नेता हैं और अपनी जाति के बूते पर इतने ताकतवर कि स्वर्गीय राजेश पायलट और उनके
बेटे सचिन पायलट द्वारा कांग्रेस की सीट के रूप में तैयार की गई दौसा सीट पर
कांग्रेस को धूल चटाकर संसद में पहुंचे। वे बामनवास, महुवा और टोड़ाभीम जैसी
हर बार अलग अलग जगहों से विधायक रहे हैं और सवाई माधोपुर से सांसद भी। वे बीजेपी
की सरकार में मंत्री थे, लेकिन सीएम वसुंधरा राजे से उनके रिश्ते तनावपूर्ण तब भी थे और अब तो खैर
इतने कटु हो गए हैं कि दोनों एक दूसरे की शक्ल तक देखना पसंद नहीं करते। श्रीमती राजे
ने उन्हें पार्टी से निकलवा दिया तो बदला लेने में माहिर डॉ मीणा ने पिछले चुनाव
में बीजेपी को कई सीटों पर हराकर और अपने चेलों को जीतवा कर वसुंधरा राजे से अपना
हिसाब चूकता किया।
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा
ने 18 नवंबर 2012 से
हेलीकॉप्टर की यात्राएं शुरू कीं। मेवाड़ मीणों की गढ़ रहा है, सो पहली उड़ान
उन्होंने मेवाड़ के लिए भरी। हेलीकॉप्टर का किराया लगभग पांच लाख रुपए प्रति दिन
हैं। पैसा कहां से आता है, इस सवाल को गोल करके जवाब में डॉ. मीणा कहते हैं कि राजस्थान
बहुत बड़ा राज्य है। समय कम है और ज्यादा लोगों तक पहुंचने के लिए हेलीकॉप्टर ही एकमात्र
माध्यम है। उन्होंने अब तक 180 से भी
ज्यादा सभाएं की हैं, जिनमें
से 90 से ज्यादा यानी आधी सभाओं में हेलीकॉप्टर से उतरे
है। हेलीकॉप्टर वैसे, उनकी उनकी आदत का हिस्सा नही है। हवा में उड़ने का उनको शौक भी
नहीं है। लेकिन अलवर से लेकर आबू और मेवात से लेकर मेवाड़ तक बिखरे मीणा समाज को
एक करके बीजेपी को हराने के लिए वे आजकल बहुत उड़ रहे हें। राजस्थान में मीणा वोटों
पर उनका जबरदस्त असर है। बीजेपी को राजस्थान में अगर कुछ सीटों का भी नुकसान हुआ
तो, उसका सबसे बड़ा कारण किरोड़ी लाल मीणा ही होंगे, यह तय है। बीजेपी के नंदलाल
मीणा और कांग्रेस के रघुवीर मीणा के बयानों में भड़ास साफ जाहिर होती हैं। उदयपुर के
सांसद कांग्रेस के रघुवीर मीणा कहते है कि किरोड़ी पहले पैदल, फिर
गाड़ी से आदिवासी क्षेत्रों में घूमे, मगर लोग नहीं जुटे। अब भीड़ जुटाने के लिए हेलीकॉप्टर
लेकर आदिवासी क्षेत्रों में जा रहे हैं। और बीजेपी के नंद लाल मीणा अपनी ही पार्टी के
वरिष्ठ नेता गुलाबचंद कटारिया को लपेटते हुए कहते हैं - कटारिया, किरोड़ी
और अशोक गहलोत तीनों मिले हुए हैं।
राजस्थान की राजनीति में
अब सबकी जमबां पर सवाल यही है कि डॉ. मीणा के पास हेलीकॉप्टर आया कहां से, उनको
दिया तो किसने दिया और रोज का इतना बड़ा खर्च वे कहां से पूरा कर रहे हैं। श्रीमती
राजे मीणा को उपलब्ध कराए हेलीकॉप्टर पर कांग्रेस की
तरफ इशारा करते हुए कहती हैं कि किरोड़ी पहले तो बीजेपी को नागनाथ और कांग्रेस को
सांपनाथ कहते थे। लेकिन अब तो वे सिर्फ नागनाथ पर ही अटक गए हैं। जबसे हेलीकॉप्टर
मिला है, सांपनाथ यानी कांग्रेस को भूल गए हैं। लेकिन इस सबसे बेफिक्र डॉ. मीणा
लगातार हेलीकॉप्टर से पूरा राजस्थान नाप रहे हैं। वे कह रहे हैं कि राजा – महाराजा ही नहीं, किसान
का बेटा भी हेलीकॉप्टर में घूम सकता है।
कुल मिलाकर बात यह
है कि यह पहला मौका है कि राजस्थान के राजनीतिक परिदृश्य में पहली बार कोई एक
अकेला नेता सिर्फ अपने बूते या यूं कहिए कि हेलीकॉप्टर के बूते पर तीसरी ताकत के
रूप में उभर रहा है। नेशनल पीपुल्स पार्टी बनाकर डॉ. मीणा तीसरी ताकत बने हुए है। डॉ.
मीणा की वर्तमान राजनीति का भविष्य क्या होगा, यह फिलहाल साफ साफ तो किसी को नहीं
पता। हालांकि संघ परिवार ने उनको यह तो कतई नहीं सिखाया था लेकिन अपनी पैतृक
पार्टी बीजेपी के नुकसान की कीमत पर वे अब तक के सबसे बड़े दुश्मन दल कांग्रेस का
भला करने पर तुले हुए हैं। सभी जानते हैं कि राजनीति में ऐसे फायदे देने की कीमत
भी वसूली जाती है और बाद में उस फायदे का फायदा भी पूरा लिया जाता है। बहरहाल,
बातें सिर्फ दो ही हैं, इस बार के विधानसभा चुनाव में या तो डॉ. मीणा की राजनीति कुछ
और चमक उठेगी या फिर उनकी व्यक्तिगत चमक भी सदा के लिए समाप्त हो जाएगी। बात
हेलीकॉप्टर से शुरू हुई थी, और हेलीकॉप्टर पर ही खत्म करते हैं। डॉ. मीणा
हेलीकॉप्टर की सवारी में बहुत सहज भले ही न लगें, पर फिलहाल, वसुंधरा राजे उनके
नाम से ही भरपूर असहज हो उठती हैं। बाकी सबके लिए भले ही यह खबर है, पर राजस्थान
के सीएम अशोक गहलोत के लिए यह खुशखबर हो सकती हैं।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हैं)