-निरंजन परिहार-
सावन कुमार टाक आज 82 साल की ऊम्र में भी कोई कम लोक लुभावन
नहीं दिखते। सोचिये, जब वे जवान रहे होंगे, तो कितने खूबसूरत दिखते होंगे, और कितनियों के दिलों पर
बिजलियां गिराते रहे होंगें। मीना कुमारी तक कोई यूं ही थोड़े ही उन पर मरती थीं।
इसलिए अपना मानना है कि सावन कुमार को लोग जानते भी हैं और नहीं भी जानते। और जो उनको जानने का दावा करते हैं, वे भी दरअसल, उतना ही जानते हैं, जितना उनको बाकी दुनिया जानती
है। क्योंकि असल में, सावन कुमार को जानना आसान नहीं
है।
सावन कुमार खुद कहते हैं - ‘मैं तो अब भी अपने आप को तलाश रहा हूं।’ तो, जो शख्स पूरी जिंदगी भर खुद ही
खुद को पूरी तरह से नहीं जान पाया हो, उसे कोई और क्या जानेगा। लेकिन फिर भी सावन कुमार जानना हो, तो जयपुर में सांगानेर की उन
गलियों से गुजरना पड़ेगा, जहां 9 अगस्त, 1936 को उनका जन्म हुआ था।
जयपुर की उस मिट्टी में कोई तो तासीर जरूर है कि एक
सामान्य से परिवार के नादान बच्चे में इतनी सारी काबिलीयत एक साथ भर दी कि वह छोटी
सी ऊमर में ही गजब का अंग्रेजीदां बन गया। थोड़ा सा बड़ा होते ही सिनेमा के सपने
पालकर मुंबई पहुंच गया। सुनते ही सीधे दिल में
उतरनेवाले गीतों का बादशाह बन गया। रोमांटिक फिल्मों का निर्माता भी
बन गया। और जिंदगी की असलियत को छू लेनेवाला निर्देशक भी बन गया। बात सन 1956 की
है। सावन कुमार तब 20 साल के थे। और छुपाकर कर रखे हुए अपनी माताजी के 42 रुपए
चुपचाप उठाकर घर से निकले और सीधे मुंबई पहुंच गए। काबीलियत उनमें इतनी थी कि
जयपुर के मोती कटला स्कूल में जब वे छठी कक्षा में पढ़ते थे, तब से ही वे ऐसी फर्राटेदार अंग्रेजी बोल जाते थे कि उनके अध्यापक भी चकरा
जाते थे।
कहते हैं कि सावन का मौसम सबके लिए बहार लाता है। लेकिन हीरो
बनने मुंबई आए सावन कुमार के लिए फिल्मी दुनिया के शुरुआती दिन पतझड़ में कुछ पाने
की प्यास के दिन थे। मुंबई आकर लगभग दस साल तक सावन कुमार लगातार संघर्ष करते रहे।
कभी प्रोड्यूसर एफसी मेहरा के गैराज में ड्रायवर गोपाल के साथ सो जाते थे, तो कभी फुटपाथ पर भी। कभी भूखे
भी रहे और पैसे के अभाव में पैदल भी खूब चले। लेकिन हिम्मत नहीं हारी। इसी दौरान
अपनी बहन से उधार लेकर उन्होंने पहली फिल्म बनाई – ‘नौनिहाल’। जिसके जरिए सावन कुमार ने हरीभाई जरीवाला को तो संजीव कुमार बना दिया, लेकिन खुद अटक गए। फिल्म चली
नहीं। पर, हार मानना उनके स्वभाव में होता, तो वे जयपुर जैसा बेहद खूबसूरत
शहर छोड़कर मुंबई थोड़े ही आते। सावन कुमार को इस हार ने भीतर से और मजबूत कर
दिया। और, फिर जब बहार आई तो ऐसी आई कि
सावन कुमार हमारे सिनेमा के संसार में सदा के लिए छा गए।
सावन कुमार आज भी बेहद खूबसूरत हैं, और तब भी थे। चाहते तो
खुद हीरो बन जाते, लेकिन उन्होंने हीरो भी बनाए और
हीरोइनें भी। नीतू सिंह और अनिल धवन के साथ ‘हवस’, पूनम और शत्रुघ्न सिन्हा के साथ
‘सबक’, राजेन्द्र कुमार, नूतन और पद्मिनी कोल्हापुरे के साथ ‘साजन बिन सुहागन’, विनोद मेहरा, रेखा व शशि कपूर के साथ ‘प्यार की जीत’ अनिल कपूर के साथ ‘लैला’ राजेश खन्ना और टीना मुनीम के
साथ ‘सौतन’, रेखा, जयाप्रदा व जितेंद्र के साथ ‘सौतन की बेटी’, सलमान खान के साथ ‘सनम बेवफा’ जैसी कई सफलतम और सुपरहिट
फिल्में बनाईं। वैसे तो, सावन कुमार के गीतों की भी बहुत
लंबी सूची है। लेकिन ‘बरखा रानी जरा जम के बरसो...’, ‘तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम...’, ‘कुछ लोग अनजाने भी क्यूं अपनों से लगते हैं...’, ‘हम भूल गए रे हर बात मगर तेरा प्यार नहीं भूले...’, ‘कहां थे आप जमाने के बाद आए हैं...’, ‘जिंदगी प्यार का गीत है इसे हर दिल को गाना पडेगा...’, ‘शायद मेरी शादी का खयाल दिल में आया है...’, ‘साथ जियेंगे साथ मरेंगे हम तुम दोनो लैला...’, ‘आइ एम वेरी वेरी सॉरी तेरा नाम भूल गई...’, ‘जब अपने हो जाये बेवफा तो दिल टूटे...’, ‘चूड़ी मजा ना देगी कंगन मजा ना देगा...’, ‘बेइरादा नजर मिल गई तो मुझसे दिल वो मेरा मांग बैठे...’, ‘चांद सितारे फूल और खूशबू ये तो सब अफसाने हैं...’ जैसे भावप्रणव, अर्थपूर्ण और जीवन के हर मोड़
पर सुकून देनेवाले डूबकर लिखे गए कर्णप्रिय गीतों के जरिए सावन कुमार ने जिंदगी के
कई नए अर्थ भी हमें दिए हैं। रंगीन वे शुरू से ही रहे और उन्हीं रंगीनियों की छाप
उनके गीतों को भी रंगीनी बख्शती रहीं। अपनी ज्यादातर फिल्मों में गीत भी सावन
कुमार ने लिखे और संगीत भी उस जमाने में उनकी पत्नी रहीं जानी मानी संगीतकार उषा
खन्ना का ही रहा।
हमारे सिनेमा के संसार में सावन कुमार आज भी सितारों से
चमकते चेहरे के रूप में देखे जाते है। वैसे तो खैर, सावन कुमार ने जिंदगी भर अपनी फिल्मों की चमक से भी कईयों को चकराया और उनके
चक्कर में कईयों की जिंदगी घनचक्कर की तरह चकराती रही। लेकिन सावन कुमार कभी किसी
चक्कर में नहीं फंसे। हां, जिंदगी को जरूर अपने चक्कर में
हमेशा से फांसे रखा। जो अब भी, लाचारी से उन्हें तक - तक कर
हैरान है कि यह शख्स 82 साल की उमर में भी इतनी सारी ऊर्जा आखिर लाता कहां से है!