गहलोत तो वसुंधरा को भी लपेटने की बात कह रहे हैं
-निरंजन परिहार-
गुलाब चंद कटारिया के मामले में बीजेपी के तेवर सख्त है। और अशोक गहलोत भी अपने तेवर दिखा रहे हैं। गहलोत सीएम हैं और हर सीएम को सख्त होना ही चाहिए। पर, गहलोत आम तौर पर इतने सख्त होते नहीं, जितने अब हैं। तेवर देखकर कांग्रेस में उनके विरोधियों के हौसले पस्त हो रहे हैं। हालात देखकर लग रहा है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जैसे कोई संजीवनी सौंप दी है। मतलब साफ है, कि अगर बहुमत आ गया तो कमान फिर गहलोत के हाथ में ही होगी। इसीलिए अपनी आदत के विपरीत गहलोत अब कुछ ज्यादा ही सख्त नजर आ रहे हैं। वैसे तो उनकी भाषा आम तौर पर विनम्र हुआ करती है। लेकिन राजस्थान में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया पर सीबीआई के शिकंजे के मामले में जब उनसे सवाल पूछा, तो वे कटारिया पर तो कुछ भी नहीं बोले, पर यह जरूर बोले कि सीबीआई को श्रीमती वसुंधरा राजे की भी जांच करनी चाहिए। गहलोत की वाणी बता रही है कि आनेवाले दिनों में उनके तेवर और तीखे होंगे। कह रहे थे कि सरकार में बैठे नंबर वन की जानकारी के बिना तो कोई एनकाउंटर हो ही नहीं सकता। सोहराबुद्दीन के एनकाउंटर के वक्त गुलाब चंद कटारिया गृह मंत्री थे और वसुंधरा राजे सीएम। गहलोत ने कहा कि सीबीआई को नंबर वन को भी जांच के दायरे में लेना चाहिए। यह सब गहलोत की आदत के विपरीत है। पर, चुनाव हैं, सो जीतने के लिए सीएम को अपने तेवर में इतनी तब्दीली शोभी देती है। लेकिन गहलोत से दिल पर हाथ रखवाकर पूछा जाए को गुलाब चंद कटारिया को वे भी गलत तो कभी भी नहीं कह सकते।
यह जगजाहिर है कि गुलाब चंद कटारिया मूलतः भले और भोले आदमी हैं। बीजेपी भी इसीलिए बहुत मजबूती से उनके साथ खड़ी हो गई है। दिल्ली में राजनाथ सिंह ने कटारिया के मामले में सीबीआई पर जमकर हमला बोला। राजनाथ सिंह की भाषा में कहें तो केंद्र सरकार सीबीआई के जरिए उनके नेताओं के खिलाफ बदले की भावना से काम कर रही है। पहले अमित शाह को फंसाया गया और अब कटारिया को। राजनाथ सिंह के मुताबिक कटारिया के खिलाफ राजनीतिक साजिश रची गई है। इसलिए वे अपने नेताओं के साथ खड़े रहेंगे और राजनीतिक व कानूनी स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे। वैसे, कानूनी दृष्टि से देखें, तो सीसीआई थानेदार की भूमिका में है। जो नहीं कर सकती वह भी कर रही है। जब भारत सरकार के एट़र्नी जनरल कह चुके हैं कि सोहराबुद्दीन मामले में सीबीआई के पास पर्याप्त सबूत नहीं है। इस मामले में और ज्यादा सबूत जुटाने की जरूरत है। तभी इस पर विचार किया जा सकता है कि किसी को आरोपी बनाया जाए या नहीं। लेकिन सीबीआई कटारिया को आरोपी बना रही है।
अब बारी देश की है, यह सब देश को सोचने की जरूरत है कि आखिर क्यों बार बार सीबीआई की विश्वसनीयता और साख पर रह रहकर सवाल उठते रहते हैं। आप जब यह पढ़ रहे होंगे, राजस्थान में बंद की तैयारियां चल रही होंगी। एक भले नेता पर सीबीआई की सख्ती के विरोध में बंद करके विरोध प्रदर्शन करने का हक तो जनता का भी बनता ही है। कटारिया 35 साल से राजनीतिक जीवन में हैं। और जिन बातों का उन्हें पता ही नहीं है, सीबीआई ने उसमें उनको अपराधी बनाकर उनके 35 साल के राजनीतिक जीवन को समाप्त करने का प्रयास किया है। जिंदगी बहुत मुश्किल से मिलती है। और वह बनती उससे भी ज्यादा मुश्किलों से है। पर, सारी मुश्किलों को और मुश्किल बनाने का काम सीबीआई आसानी से कर सकती है। इसीलिए कर रही है। फिर, राजनीति में तो किसी के मुश्किलों में पड़ने पर विरोधियों को तो मजा ही आता है। अशोक गहलोत इसीलिए मजे में हैं। कटारिया के बारे में बोलेंगे, तो लोग गहलोत को ही गलत कहेंगे। इसीलिए बहुत सयानेपन के साथ गहलोत वसुंधरा राजे पर भी सीबीआई के शिकंजे की बात कह रहे हैं। राजनीति में हैं, इसलिए इस तरह की भाषा का उपयोग करने का हक तो अशोक गहलोत का बी बनता ही है।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हैं)