जिस कपिल सिब्बल को आप नही जानते…
-निरंजन
परिहार-
यह जो हेडिंग आपने पढ़ा, इन सात शब्दों को जिनने लिखा, वे
लिखनेवाले देश के बहुत सिद्ध, प्रसिद्ध एवं धारदार पत्रकार आलोक
तोमर अब उस दुनिया में नहीं हैं। उनने लिखा था कि मशहूर शायर निदा फाजली जब यह शेर
लिख रहे थे कि ‘हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी, जिसको
भी देखना हो कई बार देखना…’ तब वे शायद कपिल सिब्बल के बारे
में ही लिख रहे होंगे। क्योंकि कपिल सिब्बल को जितनी बार देखते हैं, हर
बार उनका नया अवतार सामने आता है। कभी स्तब्ध करने वाला, कभी अवाक
कर देने वाला तो कभी चौंकाने वाला।
अभी भले ही कपिल सिब्बल ने यह कह कर चौंका दिया हो कि
नरेंद्र मोदी किसी गली मोहल्ले के दादा की तरह हैं… या भले ही
मुलायम सिंह को खुली देते हुए यह कहा हो कि किसी में हिम्मत है, तो
हमारी सरकार गिरा कर दिखाए… लेकिन यह कोई पहली बार नहीं है जब
कपिल सिब्बल इस तरह से खुल कर बोल रहे हैं। दुनिया जानती है कि बीजेपी की स्मृति
इरानी को देखकर उनके मन में कुछ कुछ ही नहीं बहुत होता है। लेकिन वैसा कुछ नहीं
होता जो महिलाओं को देखकर कांग्रेस के दूसरे वकील नेता अभिषेक मनु सिंघवी के मन
में होता है। चांदनी चौक से भले ही स्मृति सिब्ब्ल के सामने चुनाव हार गई थी,
पर सिब्बल को उनने पइयां पइयां कर दिया था। स्मृति से सिब्बल कुढ़ते और
चिढ़ते हैं क्योंकि वहीं एकमात्र हैं जो उनके लिए चुनौती बनकर लगातार खड़ी है। पर
सिब्बल भी कोई डरपोक इंसान नहीं हैं।
वे दूसरे कांग्रेसियों की तरह अपनी औकात और हैसियत के
बारे में किसी गफलत में भी नहीं है। राजनीति में अपनी औकात की गहराई माप चुके हैं
और कांग्रेस में उनकी हैसियत की ऊंचाई देखने के लिए लोगों को दर्द होने की हद तक
अपनी गर्दन उठानी पड़ती है। सिब्बल जलंधर के हैं, पर पहले
चंडीगढ़, फिर दिल्ली और बाद में अमरीका के हार्वर्ड़ में पढ़े हैं।
अमरीका की सुप्रीम कोर्ट में वकालात की, फिर बुद्धू की तरह नहीं मगर
बुद्ध की तरह सब कुछ छोड़ कर लौट के दिल्ली आए, और हमारे
देश में भी वकालात करके भी बहुत सिद्ध वकील और प्रसिद्ध राजनेता साबित हुए। वैसे
कपिल सिब्बल का व्यावसायिक पद, सामाजिक कद और पार्टी में उनका
पराक्रम देखकर किसी को भी आश्चर्य हो सकता है कि वे दिल्ली के चांदनी चौक जैसे
बहुत पुराने इलाके से चुनाव क्यों लड़ते हैं। उनको तो किसी ऐसे इलाके से चुनाव
लड़ना चाहिए, जहां प्रबुद्ध और अभिजात लोग रहते हैं। लेकिन जो लोग
ऐसा सोचते हैं वे यह नहीं जानते कि सिब्बल ने इतिहास में एमए किया है और चांदनी
चौक से ज्यादा जीवंत इतिहास हमारे देश में और कहां मिलेगा।
सन 1998 में वे पहली बार राज्यसभा में लाए
गए और इससे पहले वे देश की सबसे बड़ी अदालत की बार कौंसिल के तीन बार मुखिया रह
चुके थे। वे देश के सबसे महंगे वकील हैं। कहते हैं कि हमारे देश के बहुत सारे वकील
पूरे जनम भर जितनी कमाई नहीं कर पाते, उतनी कमाई हमारे सिब्बल
साहब के लिए मिनटों का खेल हैं। आदमी के रूप में बहुत संवेदनशील है, शायद
इसीलिए कविता लिखते लिखते वे कई बार बातचीत में बहुत समझदारी के साथ खुद को अटल
बिहारी बाजपेयी के साथ भी खड़ा कर देते हैं। वे कहते रहते हैं कि अटलजी भी कविता
करते थे और राजनीति में थे, मैं भी कविता लिखता हूं और राजनीति
में भी हूं। बात तो सही है कपिल सिब्बल की। उनकी एक कविता है… मुझे
प्रेम का एसएमएस मत भेजना, क्योंकि मैं जल्दी मिटना नहीं
चाहता… तुम तो मुझे ईरेज कर दोगे…। जाहिर
है, सिब्बल ताकतवर बने रहना चाहते हैं, मिटना
नहीं चाहते। मुलायम सिंह को सरकार गिराने की चुनौती और नरेंद्र मोदी को गली के
दादा का खिताब दे देकर अपने जीने का इंतजाम करते रहिए सिब्बल साहब, सैक्स
करते हुए सीडी में समा जाने की वजह से अभिषेक मनु सिंघवी के ठिकाने लग जाने के बाद
कांग्रेस में तो आपको मिटाने की किसी की औकात नहीं है। लगे रहिए।
(लंखक राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हैं)