कटारिया पर कलंक की कोशिश में सरकारी तोता
-निरंजन परिहार-
एक सिर्फ बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती किरण माहेश्वरी को छोड़ दिया जाए, तो इस चराचर लोक में तो कम से कम कोई एक ऐसा माई का लाल नहीं जन्मा, जो यह कह सके कि गुलाबचंद कटारिया भले आदमी नहीं हैं। बीजेपी तो ठीक, कांग्रेस जैसी धुर विरोधी पार्टी में भी कटारिया की ईमानदारी, निष्ठा, समर्पण, सेवा, सच्चाई और सदाचार पर उंगली उठाने वाला आज तक तो कोई नहीं मिला। और कटारिया किसी की हत्या करवा सकते हैं, यह तो लाख विरोधी होने के बावजूद किरण माहेश्वरी भी नहीं मानेंगी। लेकिन सरकारी तोता मानता है। सीबीआई कह रही हैं कि कुख्यात अपराधी सोहराबुद्दीन को पुलिस के फर्जी एनकाउंटर में मरवाने में कटारिया का भी हाथ हैं।
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Mr. Gulab Chand Kataria, Leader of Opposition, Rajasthan and Media Expert Niranjan Parihar at an event in Mumbai |
गुलाबचंद कटारिया बीजेपी के धुरंधर नेता है। राजस्थान के दिग्गज नेताओं में उनको सबसे पहले गिना जाता है। छह बार विधायक, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष, सांसद, अनेक बार मंत्री रहते हुए फिलहाल वे दूसरी बार राजस्थान में विपक्ष के नेता हैं। वसुंघरा राजे भले ही बीजेपी में बड़ी नेता हैं, पर पार्टी के बाहर भी कटारिया का राजनीतिक कद और सामाजिक सम्मान प्रदेश के किसी भी अन्य राजनेता के मुकाबले बहुत ज्यादा बड़ा है। राजनीति में होने के बावजूद वे मन के मैले नहीं हैं। जिस तरह से अशोक गहलोत की साफ छवि कांग्रेस की सीमाओं के पार भी उनको बड़ा साबित करती है, कटारिया भी राजनीति के कीचड़ में कमल की तरह माने जाते हैं। वैसे देखा जाए तो जिस राजस्थान में कुछ दिन पहले बीजेपी घिसटती हुई सी नजर आती थी, वहां कटारिया के विपक्ष के नेता की कमान संभालने के बाद वसुंधरा राजे की राजनीति में भी चमक आई है।
अपना मानना है कि सीबीआई के शिकंजे से कटारिया का कद कम होने वाला नहीं है। फिर ऐसा भी नहीं है कि कटारिया जेल चले जाएंगे, तो उनका मान-सम्मान समाप्त हो जाएगा और राजनीतिक महत्व बरबाद हो जाएगा। आखिर इसी केस में गुजरात के तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अमित शाह भी जेल में रहे और उसके बाद चुनाव भी जीते और अब बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बनकर देश के बड़े नेताओं में शामिल हैं। आज तक देखें, तो सीबीआई, पिछले पन्द्रह वर्षो में अपने द्वारा जांच किए गए मामलों में पंद्रह फीसदी लोगों को भी सजा नहीं दिलवा पाई है। सीबीआई एक तो, न्यायपालिका की तरह आचरण करने लगी है। दूसरे, सबूत होने के पहले ही चाहे जिसको मुजरिम करार देने में जुट रही है। फिर उसके ऊपर सरकार है। जिसके आदेश की वह मोहताज हैं। जब हमारे देश का प्रधानमंत्री सीबीआई को अपने दफ्तर में बुलाकर उसकी रिपोर्ट तक बदलवा सकता है, तो इस बात पर शक करने की छूट तो मिलनी ही चाहिए कि सीबीआई के जरिए कटारिया को कसने की कवायद कांग्रेस की तरफ से कराई गई है, ताकि राजस्थान के चुनावों में उसे फायदा हो सके।
बीजेपी हैरान है और संघ परिवार परेशान। वजह यही है कि कटारिया पर आरोप लगने से बीजेपी को राजस्थान में नुकसान हो सकता है। सरकारी तोते ने ऐसे वक्त पर शिकंजा कसने की कोशिश की है, जब बिल्कुल चुनाव सर पर हैं और अभियान शुरू हो चुका है। हालांकि अशोक गहलोत के लिए जरूर यह राहत की बात है कि प्रदेश बीजेपी की अध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे और विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया पूरे प्रदेश में यात्रा करते हुए सरकार की नाक में दम किए हुए थे, पर अब कटारिया पर सीबीआई के शिकंजे के बाद बीजेपी का ही दम निकल सकता है। लेकिन यह भी हो सकता है कि मामला उलटा पड़ जाए। लोग अगर बदला लेने पर उतर गए तो कटारिया का सामाजिक कद इतना ऊंचा है कि कांग्रेस वहां से गिरकर चारों खाने चित भी हो सकती है। अशोक गहलोत इसे अच्छी तरह से समझ रहे हैं, सधे हुए कदमों से इसीलिए चल रहे हैं। वैसे, सीबीआई हमारे देश में इस तरह की दंत कथाओ की नियमित रचनाकार बन गई है। जिसकी सोची समझी साजिश से गुलाब चंद कटारिया जैसे निष्पाप लोग भी अचानक गुनाहगार साबित कर दिये जाते है। यह तो आपको बी लग ही रहा होगा।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार हैं।)