Saturday, August 28, 2021

पायलट की पद पिपासा से पनपते पाप की पराकाष्ठा!

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जयपुर के सरकारी एसएमएस हॉस्पिटल में हार्ट की एंजियोप्लास्टी हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वसुंधरा राजे सहित देश के सभी बड़े - छोटे राजनेताओं व कार्यकर्ताओं से लेकर सचिन पायलट तक ने उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना की है। लेकिन पायलट के समर्थक स्वास्थ्य लाभ ले रहे गहलोत के लिए सोशल मीडिया पर जो नीच कामनाएं कर रहे हैं, वह पाप से कम कुछ भी नहीं है।

-निरंजन परिहार

सचिन पायलट के नासमझ समर्थकों का एकमात्र निशाना अशोक गहलोत व मुख्यमंत्री पद हैं। पर, वे नहीं जानते कि गहलोत की साख और लोकप्रियता का मुकाबला उनके पायलट न तब कर सकते थे, न ही अब। फिर, मानेसर कांड में पायलट ने खुद ही अपनी बची खुची साख का सत्यानाश किया, तो उन्हें स्वयं राहुल गांधी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व उप मुख्यमंत्री जैसे दो - दो महत्वपूर्ण पदों से एक साथ बर्खास्त करके घर बिठा दिया। फिर भी, सत्ता की भूख में पायलट राजनीति को रणभूमि बनाकर पांडवों की मृत्यु की कामना से पोषित महाभारत के दुर्योधन की सेना की तरह सज्ज हैं। इसीलिए, पायलट समर्थक संपूर्ण बेशर्मी से संवेदनहीनता की सारी सीमाएं लांध कर मुख्यमंत्री गहलोत की हृदय नलिका के इलाज में भी पायलट की ताजपोशी के सपने पालने का पाप कर रही है।


यह पायलट को पद पर देखने की पिपासा के पाप की पराकाष्ठा है कि स्वास्थ्य लाभ ले रहे गहलोत पर सोशल मीडिया में पायलट समर्थकों की भद्दी भड़ास भरी भाषा के मारक टिप्पणियों वाले तीर तैर रहे हैं। हालांकि गहलोत के साथ करोड़ों लोगों का आशीर्वाद है, और राजस्थान की राजनीति में भैरौंसिंह शेखावत व गहलोत के अलावा तीसरा कोई नेता नहीं जन्मा, जिसका नाम पार्टी या किसी भी राजनीतिक शिनाख्त से ऊपर रहा हो। फिर भी राजनीति में कोई भी अजेय व स्थायी नहीं होता, किंतु पायलट समर्थक गहलोत की बीमारी में भी मनुष्यता की लक्षमण रेखा पार करते जा रहे हैं।  

मृत्योन्मुख मनुष्य हेतु मोक्ष की कामना हमारे संसार की संस्कृति हैं, किंतु एक जाज्वल्यमान जीवंत व्यक्ति की मृत्यु की कामना क्या सिर्फ इसलिए कर ली जाए कि वह संसार से विदा हो जाए तो उसका पद हमें मिल जाए ? निश्चित रूप से इसे पाप की पराकाष्ठा का नीच कृत्य ही कहा जा सकता है। बीते दो दिन से सचिन पायलट के समर्थक यही दुष्कर्म लगातार किए जा रहे हैं। सोशल मीडिया भरा पड़ा है पायलट समर्थकों की इन कुटिल कामनाओं से। वैसे, स्वयं पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ एवं दीर्घायु जीवन की कामना की है। पर, उनके समर्थक कुछ और ही कामना कर रहे हैं, जो निंदनीय तो है ही, वैचारिक रूप से निम्न स्तरीय दरिद्रता की सूचक भी है।

चाहें तो पायलट अपने पिल्लूओं पर पलटवार करके उन्हें रोक सकते हैं, लेकिन उनकी पद पिपासा से पनपते पाप के तमाशे को चुपचाप देखना शायद उन्हें भी रास आ रहा है। वैसे, राजनीति और राजनेता पायलट समर्थकों की सोशल मीडिया पर लज्जित करनेवाली हरकतों पर थू – थू कर रहे हैं। पर, क्या पायलट अपने समर्थकों के इस पाप पर कोई प्रायश्चित करेंगे? सचिन पायलट को सलाह है कि अपने समर्थकों को मुंह बंद रखने की हिदायत के साथ बाकी के ढाई साल की विधायकी शांति से गुजारे। वरना,  इतिहास देख लें, राजस्थान वैसे भी बदले की नीच राजनीति का प्रत्युत्तर बेहद निर्मम तरीके से देता रहा है!

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)