
निरंजन परिहार
शाहरुख खान को बधाई दीजिए। वे वास्तव में बधाई के पात्र हैं। उन्होंने ना तो बाल ठाकरे से माफी मांगी और ना ही उनकी शिवसेना के सामने झुके। भले ही अपनी गुंडागर्दी के बल पर शिवसेना ने मुंबई के कई इलाकों में बंद कराया। लेकिन न केवल देश भर, बल्कि मुंबई में भी शाहरुख की फिल्म धड़ल्ले से रिलीज हुई और कई सिनेमाघरों में हाउस फुल के बोर्ड़ भी लगे। मामला बहुत गरम होने के बावजूद शाहरुख मुंबई से उड़े और सीधे दुबई चले गए। लेकिन बाल ठाकरे से नहीं मिले। शिवसेना ने अपनी इस हार पर बेशर्मी का परदा ढंकते हुए कहा कि शाहरुख खान तो बाल ठाकरे से मिलना चाहते थे। लेकिन सरकार ने उनको मिलने से रोक दिया। पर, जब फिल्म धड़ल्ले से रिलीज हो गई और लोग फिल्म देखने जाते हुए उपद्रव के लिए शिवसेना को बुरा भला कहने लगे तो खाल बचाने की कोशिश में शाम होते - होते आश्चर्यजनक ढंग से शिवसेना का एक और बयान आया कि शिवसेना ने बाल ठाकरे से नहीं बल्कि देश से माफी मांगने के लिए शाहरुख से कहा था। शिवसेना के दोनों बयान विरोधाभासी थे। अरे भाई, अगर शाहरुख को देश से माफी मांगनी थी, बाल ठाकरे से नहीं। तो, फिर उनसे मिलने जाने की बात ही कहां से आ गई ? फिर बाल ठाकरे भी कुल मिलाकर आपकी और हमारी तरह सिर्फ एक व्यक्ति हैं। बाल ठाकरे किसी देश का नाम नहीं है। जो, उनसे जाकर माफी मांगने पर सारा देश शाहरुख पर मेहरबान हो जाता। कुल मिलाकर, आम तौर पर नरम रहने वाले शाहरुख अपने देश के मजबूत कहे जाने वाले नेता शरद पवार से भी बहुत कड़क साबित हुए हैं। इसलिए वे आपकी और हमारी, सबकी बधाई के पात्र हैं।
देश के सबसे बड़े मराठा नेता कहे जाने वाले शरद पवार, बाल ठाकरे और उनकी शिवसेना के सामने बहुत छोटे साबित हुए। वे शिवसेना की धमकियों से डरकर हाथ जोड़ते हुए बाल ठाकरे की चरण वंदना करने उनके के घर जा पहुंचे। लेकिन शाहरुख खान ने ऐसा नहीं किया। वे ना तो झुके और ना ही डरकर चुप बैठे। अब तक का इतिहास रहा है कि शिवसेना इसी तरह डरा – धमका कर बॉलीवुड़ को अपने आतंक के साए में कैद करके रखती रही है। लेकिन शाहरुख खान ने माफी मांगना तो दूर, अपने कहे शब्दों पर अड़े रहने की बात कहकर खुद को मजबूत साबित किया।
शाहरुख ने कहा था कि – ‘मुझे अपने भारतीय होने पर गर्व है और हमको अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध रखने चाहिए।‘ लेकिन शिवसेना भड़क गई। उसको मुद्दा मिल गया और शाहरुख को पाकिस्तान जाकर बसने तक की सलाह भी दे डाली। शिवसेना ने उनके पुतले जलाए। पोस्टर फाड़े। और सिनेमाघर चलानेवालों को चिट्ठी लिखकर धमकाया कि वे उनकी फिल्म ‘माई नेम इज खान’ को अपने यहां रिलीज ना करे। और करें तो फिर उसके भुगतान के लिए भी तैयार रहें। शाहरुख उस वक्त विदेश में थे। तो, शिवसेना के नेताओं ने बाकायदा शाहरुख को धमकाया था कि वे भारत की जमीन पर पैर रखकर देखें। लेकिन शिवसेना से बिल्कुल नहीं डरे और उसके दूसरे दिन ही शाहरुख मुंबई आ गए। पर, बाल ठाकरे और उनकी शिवसेना कुछ भी नहीं कर सकी।
हम सभी जानते हैं कि फिल्म की रिलीज के रुकने से बॉलीवुड़ को बहुत बड़ा नुकसान होता है। आजकल कोई भी बड़ी फिल्म सौ करोड़ रुपए से कम में नहीं बन पाती। इतनी बड़ी लागत का एक - एक दिन का ब्याज ही लाखों रुपए में होता है। सो अपनी फिल्म की रिलीज को रोकने की कोसिश करने वालों से समझौता करने को कोई भी मजबूर हो ही जाता है। शिवसेना को बॉलीवुड़ की यह सबसे बड़ी मजबूरी अच्छी तरह से पता है। सो रिलीज रुकवाने को वह ब्रह्मास्त्र के रूप में अपने हक में अकसर उपयोग करती रही है। शिवसेना ने शाहरुख खान को धमकाया कि वह पाकिस्तानी क्रिकेटरों को आईपीएल मैचों में जगह नहीं देने के मामले मे दिए गए अपने बयान को वापस ले। वरना उनकी फिल्म को रिलीज नहीं होने दिया जाएगा। पर, शाहरुख ने कोई परवाह नहीं की। उल्टे उन्होंने शिवसेना और उसके नेताओं को देश भक्ति की सलाह दी। और साफ साफ कहा भी कि उन्होंने जो कुछ कहा है, वह अपनी अंतरात्मा का अनुसरण करते हुए कहा है। मतलब साफ था कि मामला अंतरात्मा का है, सो, अपनी बात को वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता। शिवसेना को जो करना है, कर ले। और क्या !
शाहरुख की फिल्म ‘माई नेम इज खान’ जोरदार ढंग से रिलीज हुई। रविवार की रात 12 बजे तक सिनेमाघरों के मालिक असमंजस में थे। लेकिन सुबह होते होते सबका डर गायब था। और फिल्म ढंग से रिलीज हुई। अड़ंगा डालने वालों के साथ पुलिस ने बहुत सख्त बर्ताव किया। जिसने भी खलल डाली उस पर डंडे पड़े। शिवसेना बेचारी अकेली पड़ गई। करीब 20 साल से भी ज्यादा सालों से उसकी हमसफर बीजेपी भी शिवसेना के साथ कहीं नहीं दिखाई दी।
शरद पवार पूरे हिंदुस्तान के मंत्री हैं। इससे पहले पवार देश के रक्षा मंत्री थे। किसकी रक्षा कैसे की जानी है, इसके नुस्खे भी वे अच्छी तरह जानते हैं। महाराष्ट्र में उनकी अपनी सरकार है। वहां का गृह मंत्रालय भी उनका अपना मंत्री ही चला रहा है। पर, फिर भी पवार डरकर ठाकरे की शरण में पहुंच गए। पर, शाहरुख सिर्फ और सिर्फ एक कलाकार हैं। इससे ज्यादा कुछ भी नहीं हैं। और जो लोग नजदीक से जानते हैं, वे यह भी अच्छी तरह से वाकिफ हैं कि शाहरुख एक बेहद डरपोक किस्म के इंसान हैं। फिर भी शिवसेना के सामने उन्होंने जो हिम्मत दिखाई है, वह काबिले तारीफ है। अपन कभी शाहरुख के फैन नहीं रहे। फिर भी एक सीधा - सादा सामान्य मनुष्य, जब अपने प्रशंसकों के बूते पर बड़ी राजनीतिक हस्तियों के हर वार का मुकाबला करने की ताकत दिखाए, तो वह बधाई जैसे छोटे से आशीर्वाद का हक तो पा ही लेता है। शाहरुख ने आम आदमी की ताकत दिखाई है। इसीलिए, अपना आग्रह है कि शाहरुख खान को बधाई दीजिए साहब। उन्होंने बाल ठाकरे और उनकी पूरी शिवसेना को उसकी औकात दिखाई है।
(लेखक जाने – माने राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हैं। उनसे niranjanparihar@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।


