Wednesday, February 10, 2010

राहुल गांधी की राजनीति पर मुंबई में कीचड़ उड़ेल दिया पवार ने


- निरंजन परिहार -
शरद पवार ने सब कबाड़ा कर दिया। राहुल गांधी मुंबई आकर सिर्फ चार घंटे में ही शिवसेना को उसकी औकात दिखा कर गए थे। पर, पवार ने राहुल गांधी के किए – कराए पर कीचड़ उड़ेल दिया। शिवसेना के मुखिया बाल ठाकरे की विरोध की धमकी की परवाह किए बिना राहुल गांधी सड़कों पर चले, लोकल ट्रेनों में घूमे और भीड़ में घुसकर लोगों से भी मिले। मगर बाल ठाकरे और उनकी शिवसेना राहुल गांधी का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाई। राहुल गांधी के दौरे के बाद पूरी मुंबई के सामने यह साबित हो गया था कि शिवसेना के आतंक और उसके धमकीतंत्र की कोई बहुत बड़ी औकात नहीं है।
लेकिन राहुल के दौरे के तत्काल बाद ही केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने बाल ठाकरे को बहुत ताकतवर साबित करने की दिल खोल कर कोशिश की। वौसे, तो पवार महाराष्ट्र में अपने आप से ज्यादा मजबूत नेता किसी को भी नहीं मानते। पर, फिर भी उन्होंने आईपीएल के क्रिकेट मैचों के दौरान शांति बनाए रखने की बाल ठाकरे के घर जाकर हाथ जोड़कर विनती की।
अभी तो, राहुल गांधी के दौरे से मुंबई में शिवसेना की औकात कितनी कम हुई है, इसकी समीक्षा भी पूरी तरह से नहीं हुई थी, कि शरद पवार ने बाल ठाकरे से करबद्ध प्रार्थना करके उनका मान बढ़ा दिया। राहुल गांधी 5 फरवरी को मुंबई आए थे। और शरद पवार 7 फरवरी को ठाकरे के घर पहुंच गए। वे पता नहीं किस बात के लिए बाकायदा फूलों का गुलदस्ता देकर बाल ठाकरे का अभिनंदन भी कर आए। शरद पवार क्रिकेट मैतों के दौरान ठाकरे से सहयोग की भीख मांगने उनके घर पहुंचे थे। ठाकरे के घर ‘मातोश्री’ में दोनों नेताओं के बीच आईपीएल में पाकिस्तानी और आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को शामिल किए जाने पर शिवसेना के विरोध पर विचार विमर्श हुआ। पवार के साथ उनकी बीसीसीआई के अध्यक्ष शशांक मनोहर भी मौजूद थे। उन्होंने ठाकरे से आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की सुरक्षा की भी गारंटी मांगी। लेकिन अपनी समझ में यह नहीं आता कि आखिर ठाकरे क्रिकेट के कौनसे माई बाप हैं, या कोई पुलिस के मुखिया हैं जिनसे किसी की सुरक्षा के बारे में बात की जा सके। अरे भाई, आप दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक सरकार के बहुत ताकतवर मंत्री हैं...! महाराष्ट्र में आपकी अपनी सरकार है...! और सबकी सुरक्षा का जिम्मेदार पुलिस महकमा चलाने वाला गृह मंत्रालय भी जब आपकी ही पार्टी के पास है, तो फिर बाल ठाकरे क्या सरकार से भी ऊपर की कोई चीज हो गए। जो आप उनके सामने जाकर आप गिड़गिड़ा रहे हैं ? आईपीएल मैचों के लिए सुरक्षा के नाम पर शरद पवार के ठाकरे के सामने नतमस्तक होने को एक केंद्रीय मंत्री की कायरता से ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता।
शरद पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। उन्हीं की पार्टी का एक निहायत मम्मू और हद दर्जे का ऐसा डरपोक आदमी महाराष्ट्र का गृह मंत्री है, जो मुंबई पर 26 / 11 के इतिहास के सबसे खतरनाक आतंकवादी हमले के वक्त दुबक कर अपने घर में बैठा था। छगन भुजबल अपनी रिवाल्वर निकालकर सड़क पर आ गए थे। भुजबल ने गृह मंत्री आरआर पाटिल से कहा भी था कि चलो, मैं साथ हूं। फिर भी वह आदमी घर में ही पड़ा रहा। इसीलिए, शरद पवार को यह बात अच्छी तरह से पता है कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री के रूप में आदमी की शक्ल में जिस मिट्टी के माधो को उन्होंने बिठा रखा है, उस पर कोई बहुत भरोसा नहीं किया जा सकता। लेकिन मुंबई पुलिस की ताकत पर तो विश्वास कीजिए पवार साहब। जिस मुंबई पुलिस ने शिवसेना की धमकियों की परवाह नहीं करते हुए राहुल गांधी को गली – गली पैंया – पैंया घुमते रहने के दौरान बाल ठाकरे के जमूरों से सुरक्षित रखा, वह क्या हमारे विदेशी मेहमान खिलाडियों को सुरक्षा नहीं दे सकती।
पर, अपन जानते हैं कि शरद पवार इतने मूरख नहीं हैं। वे यह यह सब अच्छी तरह जानते हैं कि बाल ठाकरे कोई सरकार से बड़ी ताकत नहीं है। फिर भी वे उनके घर गए। तो, इसके पीछे सबसे बड़ी और एक अकेली वजह यह भी है कि मुंबई में वे बाल ठाकरे की ताकत को घायल हालत में ही सही, जिंदा रखना चाहते हैं। ठाकरे की धमकियां जिंदा रहेगी, तभी पवार कांग्रेस को डराकर रख सकते हैं। दरअसल, पवार और ठाकरे के बीच आपस में काफी अच्छे संबंध रहे हैं, और आज भी हैं। इसीलिए, हर बार यह कहा जाता रहा है कि पवार अगर कभी कांग्रेस से अलग हुए तो वे शिवसेना के साथ जा सकते हैं। पता नहीं, कोई भी यह क्यों नहीं कहता कि पवार भाजपा के साथ जा सकते हैं। वैसे वह दिन अभी नजदीक आता नहीं दिखता। फिर भी पवार बहुत दूर की सोचते हैं, सो यह करना जरूरी था। शरद पवार काफी गहन और गूढ़ राजनीति की पैदाइश कहे जाते हैं। लेकिन उनकी यह राजनीति दिल्ली में भले ही फेल हो जाती है। पर, महाराष्ट्र में भरपूर चलती है।
पवार ने बाल ठाकरे के घर जाकर मुंबई में शिवसेना को सांसत में डालने वाले राहुल के रुतबे को कम करने की कोशिश की है, यह साफ समझ में आ रहा है। पता नहीं, वे कांग्रेस से किस जनम का बदला ले रहे हैं। विलास राव देशमुख ने महाराष्ट्र के विधान सभा चुनावों से बहुत पहले ही यह साफ साफ कह दिया था कि कांग्रेस को प्रदेश में विधान सभा का चुनाव अकेले ही लड़ना जाहिए। ताकि राष्ट्रवादी कांग्रेस और उसके अगुआ शरद पवार को उनकी औकात का अहसास हो जाए। देशमुख सहित कई नेता भी पवार की पार्टी से समझौता करने के मूड़ में बिल्कुल नहीं थे। लेकिन आखरी पलों में समझौता हो गया और कांग्रेस के साथ पवार की पार्टी भी सत्ता में आ गई। वरना, इस बार जो हालात थे, अकेले लड़ने पर पवार की पार्टी का क्या होता, यह सभी जानते हैं।
लाखों लोगों के अब तक तो यही लगता था कि पता नहीं क्यों बेचारे पवार के बारे में यह सत्य कुछ ज्यादा ही प्रचलित है कि वे भरोसे की राजनीति कभी नहीं कर सकते। लेकिन ठाकरे के घर जाकर राहुल गांधी के किए – कराए पर पानी फेर देने की पवार की कोशिश के बाद यह धारणा और मजबूत हो जानी चाहिए कि पवार कोई बहुत भरोसे के काबिल राजनेता नहीं है। अगर ठाकरे और शिवसेना की धमकियों का पवार डटकर मुकाबला करते तो वे राहुल गांधी से भी हजार गुना ऊंचे नेता के रूप में सम्मान पाते। वे पद के लिए कुछ भी करने और सत्ता में बने रहने के लिए किसी भी हद तक जाने वाले नेता के रूप में तो जाने ही जाते हैं। लेकिन सिर्फ इस एक ताजा घटना की वजह से आज देश शरद पवार को एक कायर, हीन और लाचार होने के साथ साथ अपने ही गृहमंत्री पर भरोसा न करने वाले नेता के रूप में भी देखने लगा है। ठाकरे के चालीस साल के आतंकराज की सिर्फ चार घंटे में ही राहुल गांधी ने जो बखिया उधेड़ डाली थी, ठाकरे को कुछ दिन तो उसके दर्द में डूबे रहने देते हुजूर। आपको इतनी जल्दी क्या थी पवार साहब ?