Sunday, February 7, 2010

ठाकरे के चालीस साल पर बहुत भारी साबित हुए राहुल गांधी के चार घंटे


-निरंजन परिहार-
बाल ठाकरे ने चालीस साल में जो आतंकराज रचने की कोशिश की थी उसे राहुल गांधी ने चार घंटे में साफ कर दिया। राहुल हवा में उड़े, सड़क पर चले, लोकल रेल में भी सफर किया और अंबेडकर के स्मारक पर फूल चढ़ाएने के बाद वापस उड़ गए। वे बाल ठाकरे की शिवसेना के मुख्यालय के एकदम पड़ोस में भी गए और शिवसेना वाले महारथी उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सके।
मगर यहां एक सवाल यह भी उठता है कि जो सरकार राहुल गांधी की रक्षा में पूरी ताकत लगा देती है, और मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण लगातार साथ घूमते हैं। एक राज्य मंत्री तो राहुल गांधी के जूते भी उठा लेते हैं। वही राज्य सरकार गरीब हिंदी भाषियों और टेक्सी वालों की रक्षा क्यों नहीं कर पाती? यह अपनी तो क्या किसी की भी समझ में नहीं आता। क्या अब उम्मीद की जा सकती है कि राहुल गांधी की तरह आजमगढ़ और मिर्जापुर से आए टेक्सी चलाने वालों को भी मुंबई में सरक्षा के मामले में न्याय मिलेगा?
तो, मूल बात यह है कि राहुल गांधी ने शिवसेना का भ्रम तोड़ दिया। उन्होंने राज ठाकरे को भी उनकी औकात दिखा दी। कांग्रेस को राहुल गांधी के इस मुंबई दौरे का कितना फायदा हुआ, यह तो समीक्षा के बाद ही पता चलेगा। लेकिन जिस शिवसेना ने कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के मुंबई दौरे का जोरदार विरोध करने का ऐलान किया था, उसी शिवसेना को राहुल ने मुंबई में खूब छकाया।
राहुल गांधी उसी दादर इलाके में लोकल ट्रेन से उतरे जहां शिवसेना का मुख्यालय है और उसका सबसे बड़ा दबदबा भी। शिवसेना का मुख्यालय भी दादर में ही है। लेकिन फिर भी शिवसेना के मुखिया बाल ठाकरे द्वारा लाखों शिवसैनिकों से राहुल गांधी के दौरे के विरोध के ऐलान का दादर में भी कोई असर नहीं था। बाल ठाकरे की बात उनके लाखों शिवसैनिकों ने नहीं मानी। कांग्रेस के इस युवा नेता को काले झंडे दिखाने के लिए लाखों के बजाय साढ़े सिर्फ तीन सौ शिवसैनिक ही पहुंचे। यह बाल ठाकरे के बूढ़े हो जाने का असर तो है ही। शिवसेना के बहुत कमजोर हो जाने की सबसे ताजा तस्वीर भी है।
और मराठी अस्मिता के नाम पर जिस घाटकोपर इलाके में अपनी राजनीति की सबसे बड़ी दूकान चलाने वाले राज ठाकरे दम भरते हैं, वहां पर ही राज और उनकी सेना का भी कोई असर नहीं दिखा। घाटकोपर इलाके को राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अपना गढ़ बताती रही है। वहीं के लोगों ने कांग्रेस महासचिव राहुल का जमकर स्वागत किया। राहुल को उन दलित बस्तियों में भी जबरदस्त सम्मान मिला, जिनके दम पर राज ठाकरे की पार्टी के लोग अक्सर अपनी धाक जमाने की कोशिश करते रहते हैं।
राहुल गांधी ने मुंबई की भीड़ भरी लोकल ट्रेन में भी सफर किया। राहुल ने अंधेरी स्टेशन पर आम लोगों के साथ लाइन में लगकर टिकट भी लिया। और उस विरार फास्ट में भी बैठे, जिसमें आम तौर पर नए लोग चढ़ने तक से भी बहुत डरते हैं। यह कांग्रेस के इस युवा नेता का मुंबई को एक खास किस्म का सरप्राइज था। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने शुक्रवार को यहां सुरक्षा इंतजामों की कोई परवाह नहीं की। वैसे कांग्रेस महासचिव के मुंबई दौरे के मद्देनजर शुक्रवार को यहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। यह ताकि उन्हे कोई भी काले झंडे न दिखा सके।
राहुल गांधी जुहू में अपने घर से थोड़ी ही दूर भाईदास हॉल आए थे। वहां से निकलकर वे घाटकोपर जाने के लिए अंधेरी रेलवे स्टेशन पहुंचे। पहले उन्हे हेलीकॉप्टर से वहां पहुंचना था। लेकिन फेरबदल हो गया। अंधेरी स्टेशन जाते वक्त उन्होंने अपने वाहन से ही लोगों का अभिवादन किया और जैसा कि वे आम तौर पर अपने हर दौरे में हर इलाके में करते रहते हैं, भीड़ में घुसकर कुछ लोगों के साथ बाद में हाथ भी मिलाया। अंधेरी स्टेशन से राहुल ने विरार-दादर लोकल ट्रेन के सैकंड क्लास के डिब्बे में सवारी की। वह दोपहर सवा बजे दादर पहुंचे। रेलवे के अफसरों को भी राहुल ने चौंका दिया। उन बेचारों को राहुल गांधी के लोकल ट्रेन में सफर करने के बारे में पहले से कोई जानकारी ही नहीं थी।
शिवसेना के मुखिया बाल ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया था कि वे राहुल को काले झंडे दिखाएं। और उनका जमकर विरोध करें। क्योंकि उन्होंने मराठी लोगों और महाराष्ट्र का अपमान किया है। पर, सुरक्षाकर्मियों ने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी व्यक्ति कहीं भी झंडा उठाए दिखाई न दे। और ऐसा ही हुआ। इस दौरान किसी भी स्थिति से निपटने के लिए मुंबई पुलिस के अलावा एनएसजी, रैपिड एक्शन फोर्स और बाकी सुरक्षा बलों के कमांडो तैनात किए गए थे। जुहू में भाईदास हाल से कुछ दूर शिवसेना की महिला कार्यकर्ताओं के समूह ने सुरक्षा बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की, लेकिन उन्हें हिरासत में ले लिया गया। निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए अंधेरी, विले पार्ले, जोगेश्वरी और घाटकोपर में कहीं कहीं पर शिव सैनिक जमा भी हुए थे। लेकिन वे कुछ नहीं कर पाए।
मुंबई में यह पहला मौका था, जब शिवसेना के मुखिया बाल ठाकरे का ऐलान खाली गया। शिवसेना के मुखपत्र सामना में बाल ठाकरे के नाम से लिखा गया था कि लाखों शिवसैनिक अपने घरों से निकल कर मुंबई में राहुल गांधी को काले झंडे दिखा कर उनका विरोध करें। लेकिन बाल ठाकरे का ऐलान बिल्कुल बेअसर साबित हुआ। वजह दोनों में से कोई एक जरूर है कि या तो राज ठाकरे के पार्टी छोड़कर जाने के बाद शिवसेना में लाखों की तादाद में शिवसैनिक बचे नहीं हैं। या फिर शिवसैनिकों ने अब उनके साहेब का आदेश मानना बंद कर दिया है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस के युवराज के इस दौरे ने मुंबई में बाल ठाकरे और भतीजे राज ठाकरे को अपना घर सम्हालने की चिंता में डाल दिया है। दाऊद यानी डी। मुंबई के सामान्य आदमी के मन में अब डी कंपनी का आतंक पहले जितना नहीं रहा। और ठाकरे यानी टी। क्या अब भी क्या यह नहीं कहा जाना चाहिए कि राहुल गांधी ने सिर्फ चार घंटे की यात्रा में ही मुंबई में टी कंपनी के चालीस साल के घमंड का सफाया कर दिया है?
(लेखक जाने माने राजनीतिक विशलेषक हैं।)