Friday, June 10, 2011

स्वामी को समेटने की सियासत समझिये साहब !


- निरंजन परिहार -
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह तो बहुत पहले से कह ही रहे थे। लेकिन अब अंतत: कांग्रेस बाबा को बीजेपी का एजेंट साबित करने में भी कामयाब हो गई है। कांग्रेस और सरकार की निगाहें कई दिनों से रामदेव पर थीं। लेकिन आखिर वे बट्टे में आ ही गए। सरकार और कांग्रेस को पता था कि बाबा के साथ जो किया, वह करने के बाद क्या होना है। और वही हुआ। रामलीला मैदान से रामदेव को खदेड़ने और दिल्ली से बेदखल करने के तत्काल बाद लालकृष्ण आडवाणी ने सरकार के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस की। नरेंद्र मोदी ने खुलकर क्रोध जताया। नितिन गड़करी ने निंदा की। विनय कटियार ने अपनी वार्ता में गुस्सा दिखाया। राम माधव ने रोष व्यक्त किया। रमेश पोखरियाल ने खेद जताया। वसुंधरा राजे ने इसे कानून के खिलाफ बताया। और संघ परिवार ने दुखद कहा। ऊपर से, दिल्बीली में भाजपा द्वारा अपने कार्यकर्ताओं को बाबा के समर्थकों को सहयोग के फरमान जारी करने के बाद स्वामी के समर्थन में सरकार के खिलाफ देश भर में अनशन का ऐलान भी कर दिया। मतलब, कांग्रेस अपने असली मकसद में कामयाब हो गई। वह जो चाहती थी, वह हो गया। इतने सारे बीजेपीवालों के अचानक एक साथ देश भर में बाबा के समर्थन में आकर खड़े हो जाने के बाद अब यह कोई नहीं मानेगा कि बाबा बीजेपी के एजेंट नहीं हैं।

इसीलिए, योग गुरू बाबा रामदेव के बारे में कांग्रेस के बयानबाज बाबा दिग्विजय जब यह बोल रहे थे, कि ‘रामदेव ठग है। उसने सबसे पहले अपने गुरू को ठगा। फिर जनता को ठगा, बाद में अनुयाइयों को ठगा। सरकार को ठगा। और अब पूरे देश को ठग रहा है’ तो वे पूरे होशोहवास में थे। किसके बारे में कितना, क्या, किस तरीके से कहना है, यह सब कुछ उन्हें बहुत अच्छी तरह पता था। दिग्विजय सिंह जो भी बोले, वह बहुत ही सोच समझ कर बोले। यह आप और हम सभी अच्छी तरह जानते हैं कि यह सब वे आज से नहीं बोल रहे। बहुत पहले से कहते आ रहे हैं। जो लोग राजनीति नहीं जानते, उनके लिए दिग्विजय का यह बयान भले ही जले पर मिर्ची छिड़कने जैसा था। लेकिन बाबा को दिल्ली से बेदखल करते वक्त सुबह - सुबह सबके सामने दिया गया दिग्विजय सिंह का यह बयान उसी राजनीति का हिस्सा है, जो कांग्रेस करती आ रही है, यह अब लोगों को समझ में आ जाना चाहिए।

बीजेपी के बाबा के साथ आ खड़े होने से देश और दुनिया के सामने यह तो साफ हो गया कि बाबा बीजेपी के एजेंट हैं। लेकिन इस सबके अलावा, दिग्विजय के बयान से एक बात और साफ होती है कि ना तो सरकार को और ना ही कांग्रेस को स्वामी रामदेव से किसी तरह का सीधा कोई डर नहीं है। देश की सीधी सादी जनता भले यह मानती हों कि सरकार स्वामी से डर गई, इसलिए उनके आंदोलन को उखाड़ दिया गया। लेकिन राजनीति की धाराओं और उसकी धड़कनों को समझनेवाले यह अच्छी तरह जानते हैं कि सरकारें कतई डरपोक नहीं होती। वे किसी से भी नहीं डरती। उल्टे, वे तो डराती हैं। यह ब्रह्मसत्य है कि सरकारें भले ही वे किसी की भी हों, बन जाने के बाद वे इतनी ताकतवर हो जाती हैं, कि अपने बनाने वालों से भी नही डरती। जनता से भी नहीं।

सरकार देश की जनता से अगर डरती होती तो, बाबा पर इतनी ‘बर्बर’ कारवाई नहीं करती। और डरे भी क्यों ? सरकार के पास देश से ना डरने की वजह भी है। कांग्रेस देश को यह दिखाने में सफल हो गई है कि एक आदमी जो बाबा के भेस में बीजेपी के एजेंट के रूप में देश को बरगला रहा था, उसके चेहरे से नकाब हट गया। बाबा की बल्लियां उखड़ीं, समर्थक खदेड़े गए, आधी रात में आंदोलन को आग लगाई गई और उन पर दंगा भड़काने का केस दर्ज कर दिया गया। तो कुछ लोग भले ही इसे एक आंदोलन को कुचलना कह रहे हों। लेकिन असल में यह एक राजनीतिक कोशिश थी, जिसमें सरकार और कांग्रेस दोनों कामयाब हो गए। राजनीति समझनेवाले यह अच्छी तरह समझते हैं कि बाबा अब कितना भी बवाल करते रहें, ना तो सरकार का कुछ बिगड़नेवाला है और ना ही कांग्रेस का कोई नुकसान होनेवाला। क्योंकि आम चुनाव में अभी पूरे तीन साल बाकी है। और हमारी व्यवस्था ने इस देश के आम आदमी में इतनी मर्दानगी बाकी नहीं रखी है कि वह तीन साल के लंबे समय तक किसी आंदोलन को जिंदा रख सके। और इस दौरान गलती कोई मर्द पैदा हो भी गया, तो सरकारें मजबूत मर्दों को भी हिजड़ा बनाने के सारे सामानों से लैस होती है स्वामी को समेटने के बाद अब तो यह यह सभी जान ही गए हैं।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हैं)