Thursday, June 30, 2011

उस सनी देओल को आप इतना नहीं जानते !



-निरंजन परिहार -
सनी देओल मिले थे। वैसे ही हैं, जैसे आपको फिल्मों में दिखते हैं। मजबूत, दमदार और एकदम गबरू जवान। बिल्कुल वैसे हैं, जैसे बरसों पहले अपन उनसे पहली बार मिले थे। पचपन साल की उमर में भी एकदम जवान पट्ठे की तरह दिखना और उससे भी ज्यादा फूर्तिला होना, वाकई बहुत कमाल की बात है। लेकिन उससे भी बड़े कमाल की बात यह है कि 30 बरस पहले अपनी पहली सुपर हिट फिल्म ‘बेताब’ में संजय गांधी की सहेली रुखसाना सल्तान की बेटी अमृतासिंह के साथ पहलगाम की पहाडियों में प्रेमालाप करते हुए वे जितने भोले और जितने मासूम लग रहे थे। वही भोली सी सूरत और उस पर तैरती निश्छल शर्मीली मुस्कान इतने सालों बाद आज भी उनके चेहरे पर जस की तस तारी है। फिल्मों की जिंदगी में दुनियादारी इस कदर हावी है कि अच्छे – भले लोग सिर्फ दो चार साल में ही ठिकाने लग जाते हैं। लेकिन लगातार इतने सालों तक इतना सारा भरपूर थका देनेवाला काम करने के बावजूद खुद को इस कदर सालों बाद भी लड़कपन में ही अटकाए रखना अपने आप में बहुत हैरत में डालनेवाली बात है।
मगर जो लोग सनी को जानते हैं, वे यह भी अच्छी तरह जानते हैं कि दुनिया को हैरत में डालना उनकी आदत का हिस्सा है। दुनिया उनकी इसी तरह की दमदार दीवानगी पर दंग होती रही है। अब वे एक नया पराक्रम करने जा रहे हैं। पराक्रम यह है कि बाइस साल पहले सनी देओल ने जिस फिल्म में बहुत धांसू और बेहद धूंआधार रोल किया था, अब जाकर वे उस ‘घायल’ का सीक्वल बनाने जा रहे हैं। लोगों को ज्यादा हैरत इसलिए हो रही है, क्योंकि जमाना बहुत तेजी का है। सीक्वल के लिए साल - दो साल तो ठीक, पर 22 साल....! लोग कल देखी फिल्म की कहानी भूल जाते हैं। ऐसे में इतने सालों बाद ‘घायल’ का सिक्वल ! मगर, अपने बारे में लोगों की धारणा को अकसर गलत साबित करना उनका इतिहास रहा हैं। और बने बनाए मिथक उलट कर रख देना उनकी फितरत में शामिल है। सनी इसीलिए पूरी ताकत से ‘घायल’ का सिक्वल बनाने में जुट गए हैं।
अपनी दोनों हाथों की उंगलियों को एक दूसरी के बीच भींचने के बाद जो मट्ठी बनती हैं, वह महाभारत की कहानियों में भले ही दूसरों पर प्रहार के लिए काम आती रही हो। लेकिन सनी देओल अपने दोनों घुटनों पर दोनों कोहनियों को रखने के बाद उस मुट्ठी पर अपनी ठुड्डी को टिकाते हैं। और, इसके बाद जो दृश्य बनता है, वह बहुत गजब होता है। उनकी इस अदा की कॉपी देश और दुनिया के करोड़ों लोग करते हैं। ‘बेताब’ की शूटिंग के लिए पहलगाम जाने से पहले राजस्थान में अपने गांव माउंट आबू में सनी देओल लोकेशंस देखने आए थे। वह अपने स्कूल का जमाना था, और अपना पहली बार वहीं उनसे सामना हुआ था। घुटने, कोहनी, मुट्ठी और ठुड्डी के मेल की यह अदा तब भी सनी की जिंदगी में थी। और आज भी है। लगता है, घुटने, कोहनी, मुट्ठी और ठुड्डी के इस मजबूत मेल से ही सनी को और मजबूती मिलती है। इसीलिए ‘घायल’ के सिक्वल के सवाल पर अपनी इसी अदा को फिर बनाने के बाद अचानक बहुत निश्चिंत दिख रहे सनी ने कहा - ‘घायल रिटर्न्स’ को भी लोग वैसे ही पसंद करेंगे, जैसे ‘घायल’ को अपनाया था। अगले साल हमारी यह फिल्म आ जाएगी।’
सनी देओल इस फिल्म के जरिए एक बार फिर अपने असली अवतार में आने की तैयारी में हैं। बहुत जोशीले, धमाकेदार और सुपर एक्शन किंग के रोल में। सनी बता रहे थे कि एक लंबे वक्त के बाद ‘घायल रिटर्न्स’ उनकी एक कंप्लीट एक्शन फिल्म होगी और उनको यह विश्वास है कि लोग इसको जरूर पसंद करेंगे। यह ‘घायल’ के आगे की कहानी है। हालांकि फिल्म जगत के जानकार ही नहीं फिल्मों की थोड़ी बहुत जानकारी रखनेवाले भी इस तथ्य से बेहतर वाकिफ हैं कि किसी भी बेहतरीन फिल्म के सारे पैरामीटर पर ‘घायल’ एकदम परफैक्ट फिल्म थी। लेकिन इतने सालों बाद सीक्वल क्यों ? तो सनी बोले - ‘यह सही है कि 22 साल का वक्त कोई कम नहीं होता। फिर इतने सालों बाद भी ‘घायल’ के एक्शन, इमोशंस, कैरेक्टर, डायलॉग आदि हर मामले पर लोग अब भी बातें करते हैं। ‘घायल’ आज भी लोगों के दिलो-दिमाग पर छाई हुई है।’ अपना मानना है कि सनी के लिए यही सबसे बड़ी मुश्किल भी है कि इतने सालों बाद भी ‘घायल’ का एक एक सीन याद है दर्शकों को। उनको भले ही यह सब सुनने में बहुत अच्छा लगे, लेकिन यही सनी के सामने सबसे बड़ा चैलेंज भी है। हम जब दुनिया की अपेक्षाओं से भी कई गुना ज्यादा बड़ा काम कर लेते हैं, तो उससे भी बड़ा करने काम में बहुत सारी तकलीफें आती हैं। मगर ‘घायल रिटर्न्स’ टीजर देखकर साफ लगता है कि इस चैलेंज को सनी ने स्वीकार कर लिया है। टीजर में सनी ने खुद को बहुत मजबूती से इसीलिए पेश किया है, ताकि ‘घायल रिटर्न्स’ में वे खुद को ‘घायल’ से भी बहुत ज्यादा अच्छा पेश कर सकें।
दरअसल, सनी की मुश्किल यह है कि वे बाकी अभिनेताओं की तरह नहीं हैं। वे अपने काम से प्यार भी करते हैं। सिर्फ एक्टिंग नहीं करते। जो कुछ भी करते हैं, पूरे मन से करते हैं। और पूरी फिल्म का भार अपने कंधों पर ढोए रहते हैं। कभी पीठ दर्द उनको बहुत सताता था। पर, सनी की हालात से लड़ने की ताकत के सामने वह भी हार गया। पता ही नहीं चला, कब साथ छोड़ गया। हिम्मत उनमें गजब की है। लेकिन चेहरे की मासूम मुस्कान की तरह ही सतत काम करते रहने की आदत अभी भी छूटी नहीं है। थकते ही नहीं। अपन राजनीति के आदमी हैं। फिल्मों और उनमें काम करनेवाले कलाकारों के दर्शन के दीवाने नहीं। मगर, मुंबई के गोरेगांव इलाके में सनी ने अपने को मिलने बुलाया था, वहां अपन शाम को थोड़े देर से ही पहुंचे, तो पता चला कि कुछ और वक्त लगेगा। वे सुबह से ही तपती धूप में लगातार आठ घंटे से शूटिंग कर रहे हैं। लेकिन इतने लंबे वक्त से सतत काम कर रहे सनी जब अपने पास पहुंचे, तो आश्चर्यजनक रूप से बिल्कुल फ्रेश थे। यह उनके मन की मजबूती थी, जो तन की थकान को भीतर घुसने ही नहीं देती। सामने आते ही अपनी परिचित शर्मीली मुस्कान के साथ स्वागत की मुद्रा में हाथ आगे करके बोले – चलिए, बात कर लेते हैं। लेकिन पहले चाय पी लेते हैं। बात शुरू हुई, तो मजा आने लगा। आम तोर पर देओल खानदान के लोग बहुत कम बोलते हैं, लेकिन सनी देओल बोले। बहुत बोले और जमकर बोले। बहुत सारे विषयों पर बहुत तरह की बहुत लंबी बात। इन्हीं बातों में सनी ने मन के इतने सारे राज खोले कि अब अपन कम से कम यह दावा तो कर ही सकते हैं कि सनी देओल को अपन जितना जानते हैं, बहुत कम लोग जानते होंगे। लेकिन जो भी बातें हुईं, उनका का सार यही है कि सनी देओल सिर्फ फिल्मों तक ही सीमित नहीं है। वे भावुक और संवेदनशील तो हैं ही, दुनियादारी के हर मामले और उनके मर्म को भी गहराई से समझते हैं। फिलम जगत के बहुत बड़े बड़े लोगों से अपन पहले भी कई बार मिले हैं। इसलिए अपन यह तो कह ही सकते हैं कि बाकी बहुत सारे अभिनेताओं के मुकाबले सनी देओल हर मामले में बहुत उंचे आदमी हैं।
सनी से हुई जिंदगी के अहसास, उसकी उलझनें, सुख-दुख, उसके उतार-चढ़ाव और बाकी बहुत सारी बातें कभी और। लेकिन फिलहाल इतना ही कि भले ही बीच में लगातार कई फिल्में फ्लॉप रहीं, ‘जो बोले सो निहाल’, ‘बिग ब्रदर’, ‘नक्शा’, ‘बिग ब्रदर’ आदि ने तो बॉक्स ऑफिस पर पानी भी नहीं मांगा। आलोचकों ने यहां तक कह दिया कि अपनी एक्शन के जरिए बड़े परदे पर एकछत्र राज करनेवाला यह अभिनेता अब थक चुका है। लेकिन अपनी ताकत के अलावा किसी और की परवाह करना सनी की आदत में नहीं है। यही वजह है कि ‘घातक’, ‘घायल’, ‘दामिनी’, ‘अर्जुन’, ‘त्रिदेव’, ‘सल्तनत’, ‘नरसिम्हा’,‘समंदर’, ‘डकैत’, ‘बॉर्डर’, ‘गदर’, जैसी कई सुपरहिट फिल्मों को अकेले अपने कंधों पर ढोकर सफलता दिलानेवाला यह हीरो पता नहीं क्यों हर बार पहले से बहुत ज्यादा ज्यादा ताकतवर लगता है। 19 अक्टूबर, 1956 को दिल्ली में जन्मे सनी देओल के बचपन के बेहद संकोची और शर्मीले स्वभाव को देखकर उनकी माता प्रकाश कौर को यह कतई अंदाज नहीं था, कि वे कभी अपने बेटे को जीवन के आज के मुकाम पर देखेंगी भी। लेकिन अपने हुनर, अपनी कला, अपनी मेहनत और अपनी मासूमियत से आज सनी दुनिया को दंग करते देखे जा सकते हैं। धारणाएं तोड़ना उनको आता है, और बने बनाए मिथक उलटकर आवाम को अवाक कर देने की हालत में खड़ा कर देने की अदा उनकी आदत का हिस्सा है। जिनको इस बात पर भरोसा नहीं हो, वे पिता धर्मेंद्र और भाई बॉबी देओल के साथ ‘यमला, पगला, दीवाना’ में उनके अभीभूत कर देने वाले अंदाज अब भी देख सकते हैं। इसीलिए भरोसा किया जाना चाहिए कि अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो ‘घायल रिटर्न्स’ भी वैसा कुछ करेगी, जैसा सनी की बहुत सारी फिल्में करती रही हैं। कहनेवाले तब भी कोई कम नहीं थे। बहुत लोग, बहुत पहले से बहुत कुछ कह रहे थे। लेकिन आप भी गवाह हैं कि इस सबके बावजूद ‘गदर – एक प्रेम कथा’ ने बॉलीवुड़ की सबसे सफलतम फिल्म साबित होकर सबके मुंह बंद किए ही थे ना ! सनी देओल इस बार भी ऐसा ही कुछ करके इस बार फिर मैदान मारने की फिराक में हैं। इंतजार कीजिए। (प्राइम टाइम इंडिया)