Monday, June 3, 2013

क्यूंकि गहलोत चाहते हैं  सत्ता कांग्रेस की ही रहे
-निरंजन परिहार-
अशोक गहलोत अच्छे आदमी हैं। भले हैं और भलमनसाहत को समझते भी हैं। राजस्थान के इतिहास में इतने कम समय में एक साथ इतनी सारी सरकारी योजनाएं कभी शुरू नहीं हुईं, जितनी गहलोत के कार्यकाल में हुई हैं। हम कह सकते हैं कि गहलोत राजस्थान का भला करने पर उतरे हुए हैं। वसुंधरा राजे भले ही पूरे प्रदेश में कहती फिरें कि गहलोत ने राजस्थान को बरबाद कर दिया है। लेकिन उनकी बात कोई नहीं मानेगा। क्योंकि लोग मानते हैं कि गहलोत भले आदमी हैं, अच्छे आदमी हैं। अच्छा काम कर रहे हैं। हमारी राजनीति में किसी के अच्छा आदमी होने की अब तक जो परिभाषा थी, वह यही थी कि अच्छा आदमी यानी ढक्कन आदमी। गहलोत ने इस पूरी को पूरी तरह से उलटकर रख दिया है।

गहलोत की ताजा छवि को देखकर पूरे प्रदेश को लगने लगा है कि गूढ़ राजनेता हैं। जिनको आसानी से समझना बहुत मुश्किल है। अपना मानना है कि राजनीति में कोई सीधा सादा नहीं होता। सारे के सारे बहुत तेज तर्रार और चीते की तरह चालाक होते हैं। ऐसे लोगों के बीच अशोक गहलोत अगर बीते चालीस साल से राजनीति में कायदे से जिंदा हैं। कईयों की राजनीतिक जिंदगी के निर्माता भी हैं। और निर्विवाद रूप से राजस्थान में कांग्रेस के सर्वोच्च नेता हैं। तो, निश्चित रूप से वे गजब के राजनेता हैं। इन दिनों वे बहुत समझदारी से अपने कदम बढ़ा रहे हैं। लोग तो एक तीर में दो निशाने साधते हैं, पर गहलोत बिना तीर ही कईयों को निशाने पर लिए हुए हैं। राहुल गांधी के बहुत करीबी होने का भरपूर प्रचार करके प्रदेश का सीएम बनने और कांग्रेस में गहलोत पर सवार होने का सपना देखनेवाले सीपी जोशी प्रदेश की राजनीति से छू हो गए हैं, कोई याद ही नहीं करता। यह गहलोत के कद का कमाल है। राजनीति में कोई किसी का करीबी होने से बड़ा नहीं हो जाता। अपन और अपने बहुत सारे दोस्त लोग बहुत सारे बड़े बड़ों के बहुत करीबी रहे हैं और हैं भी। प्रदेशों के सीएम से लेकर देश चलानेवालों के विश्वासपात्र रहे हैं, पर सत्ता में आने और ताकत पाने का राजनीति में सिर्फ किसी का करीबी होना ही पैमाना नहीं होता। गहलोत ने बहुत मेहनत से राजस्थान में कांग्रेस को पनपाया है। कितनी मेहनत कर रहे हैं, हम देख ही रहे हैं।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव को देखते हुए अशोक गहलोत अपनी संदेश यात्रा के जरिए कई निशाने साधने में जुटे हैं। गहलोत इस यात्रा में एक तरफ जहां जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं और अपने द्वारा लागू की गई सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी कर रहे हैं। उनकी यात्रा में चुपचाप शामिल एआईसीसी और पीसीसी की दो अलग अलग टीम विधानसभा सीटों का गहरा सर्वे भी कर रही है। एक तीसरी टीम अलग है। खुफिया एजेंसी की। वह भी इस यात्रा के दौरान अहम चुनावी जानकारी जुटा रही है। यात्रा के दौरान अब तक सौ से ज्यादा विधानसभा सीटों का सर्वे तो वैसे ही हो गया है। यात्रा जहां जहां जाती है, वहां लोग जिस जिस को मिलते हैं, उन तक को भनक भी नहीं लगती कि उनका सर्वे हो गया। सब कुछ बहुत अंदर ही अंदर हो रहा है। कौन किस काम में लगा है कोई नहीं जानता। जो लोग गहलोत की यात्रा में साथ चल रहे हैं, उनको भी खुद को काम के अलावा दूसरे के काम का पता नहीं।
रणनीति बहुत कसी हुई है और रिपोर्ट गोपनीय। सबकी निगाह बाकी सबको छोड़कर उन पर ज्यादा है जो कहने को तो कांग्रेस के नेता है, लेकिन उनके कार्यकर्ता, उनकी ताकत, उनकी कोशिश और मेहनत कांग्रेस की जड़े खोद रही हैं। सर्वे में एक ओर जहां पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाले नेताओं की हैसियत और औकात दोनौं की जानकारी जुटाई जा रही है, वहीं यह भी पता लगाया कि चुनाव में टिकट किसे देना फायदेमंद रहेगा। जातिगत जनाधार भी इस बार ज्यादा मायने रखेगा। ताजा खबर यह है कि कई जगह बड़े बड़े दावेदारों को दरकिनार करके अच्छे लोगों को अच्छी तरह से आगे लाने की योजना पर गहलोत काम कर रहे हैं। गहलोत चाहते हैं कि कांग्रेस ही सत्ता में बनी रहे। यह उनकी अच्छी सोच है, क्योंकि वे आदमी अच्छे हैं।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हैं)