Thursday, May 16, 2013


पाकिस्तान की राजनीति का पहिया घूम कर फिर वहीं पर

-निरंजन परिहार-

पाकिस्तान में हर बार राजनीति का चक्र घूमकर वहीं पर आ जाता है, जहां से वह शुरू होता है। चौदह साल बाद कहानी फिर वसे वही है, लेकिन सिर्फ नाम बदल गए हैं। सन 1999 में सेना के जनरल परवेज मुशर्रफ ने तख्ता पलट करने के लिए तत्तालीन पीएम नवाज शरीफ को जेल में डाल दिया था। आज दिन बदले, परवेज मुशर्रफ जेल में हैं। उनकी किस्मत अच्छी थी। उनके फार्म हाउस को जेल में बदल दिया गया है। नवाज शरीफ को वाकई में जेल में डाल दिया गया था। लेकिन चुनाव से ठीक पहले मुशर्रफ की गिरफ्तारी ने पाकिस्तानी चुनावों का एजेंडा फिक्स कर दिया। चुनाव में सेना के हस्तक्षेप को अब सिविल सोसायटी और जयूडिशियरी बरादाश्त नहीं करेगी। सेना भी इस हकीकत को समझ रही है। अभी तक मुशर्रफ के पक्ष में खुलकर बोलने से सेना गुरेज कर रही है, लेकिन इस गिरफ्तारी के बाद ही पाकिस्तानी नेशनल असेंबली और चार प्रांतीय असेंबली के चुनावों का एजेंडा फिक्स हो गया है।

अगले महीनें होने वाले चुनावों के संकेत लगभग स्पष्ट है। तालिबान सेक्यूलर दलों को भारी नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। वहीं सेना की महत्वकांक्षा पर लगाम अब पाकिस्तानी कोर्टों ने लगाम लगा दी है। आरंभिक संकेत साफ है। नवाज शरीफ ने बाकी दलों पर बढ़त बना ली है। सिर्फ मामला इमरान खान पर टिका है। पंजाब प्रांत में जितना ज्यादा नुकसान नवाज शरीफ को इमरान खान करेंगे, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को इसका फायदा होगा। चुनाव परिणाम किसके पक्ष में होगा इसका फैसला पंजाब से ही होगा। नेशनल असेंबली के कुल 342 सीटों में से 183 सीटें पंजाब प्रांत से ही आती है। परवेज मुशर्रफ का खेल को आखिरकार पाकिस्तानी ज्यूडिशियरी ने खत्म कर दिया। काफी उम्मीद से मुशर्रफ पाकिस्तान लौटे थे। पहले चित्राल से चुनाव लड़ने की इच्छा भी पेशावर हाईकोर्ट ने खत्म कर दी। अब मुशर्रफ गिरफ्तार कर लिए गए है। उनपर एंटी टेरर कोर्ट में भी मुकदमा चलेगा। अपने जीवन के सबसे कठिन दौर से वे गुजर रहे है।

पाकिस्तान के किसी सैन्य तानाशाह को इतनी जलालत नहीं झेलनी पड़ी थी। जनरल जिया भी सम्मान की मौत मरे थे। न्यायपालिका से छ साल पहले लिए टकराव का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। 2007 की लगाई गई इमरजेंसी के आधार पर उनका नामांकन रद्द कर दिया गया। जजों की नजरबंदी ने उनकी गिरफ्तारी करवा दी। उनकी पार्टी ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग चनावी मैदान से बाहर हो गई है। मुशर्रफ की गिरफ्तारी पाकिस्तानी सेना के लिए कड़े संकेत है। न्यायपालिका का यह संदेश कड़ा है कि सेना का अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप भी अब लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बरदाश्त नहीं किया जाएगा। दरसअल मैसेज यह था कि मुशर्रफ सेना के इशारे पर ही पाकिस्तान लौटे थे। सेना का एजेंडा फिक्स था। सेना किसी भी कीमत पर नवाज शरीफ को मई महीनें के चुनावों में नुकसान करना चाहती थी। इसके लिए मुशर्रफ को बुलाया गया था। लेकिन अब खेल स्पष्ट है।

मुशर्रफ को कोर्ट ने चुनाव से बाहर कर सेना के संकेत दिए है कि वो ज्यादा हस्तक्षेप चुनावी खेल में नहीं करें। लेकिन चुनावों के बाद एक अंदरुनी समझौते के तहत मुशर्रफ को फिर पाकिस्तान से बाहर निकाला जाने की कोशिश होगी। क्योंकि सेना नहीं चाहती है कि नवाब अकबर बुगती और बेनजीर भुट्टो हत्याकांड में आरोपी मुशर्रफ जेल जाए। क्योंकि इससे सबसे ज्यादा धक्का सेना की साख पर लगेगा। पाकिस्तानी इतिहास में पहली बार कोई जनरल सिविल सोसायटी और न्यायपालिका के हाथों जेल भेजा जाएगा। इससे पाकिस्तानी सेना की इज्जत पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। उधर मुशर्रफ ने पाकिस्तान स्थित अपनी सारी संपतियों को बेचना शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि मुशर्रफ का पाकिस्तान लौटने का एक प्रमुख एजेंडा भी यही था। पाकिस्तान अपनी पैदाइश के साथ ही हर तरह के घात प्रतिघात करता भी रहा है और झेलता भी रहा है। लेकिन बात बात पर म मारनेवाले जनरल परवेज मुशर्रफ की जेल य़ात्रा का अंजाम कुछ बी हो सकता है। कुछ बी का मतलब कुछ भी... मौत भी, य़ह भी सभी को खयाल है।