Thursday, May 16, 2013


तो क्या सचमुच राहुल गांधी नहीं बनेंगे अगले दावेदार !

-निरंजन परिहार-

अगली बार भी पीएम मनमोहन सिंह ही होंगे। यह अपन नहीं कह रहे, कांग्रेस प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी ने कहा है। अपना सवाल है कि अगर ऐसा होता है तो, राजकुमार राहुल गांधी क्या भजिया बेचेंगे। जयपुर में राहुल गांधी को पीएम पद का संभावित उम्मीदवार करीब करीब घोषित ही कर दिया गया था, फिर भी बार बार उनको पीएम बनाने की बात उठती रहती है। राहुल भी बार बार आगे पीछे होते रहते हैं। साफ छुपते भी नहीं, सामने आते भी नहीं। माजरा साफ है कि माजरा साफ नहीं है। राहुल को पीएम बनाने के नाम पर कांग्रेस में कहीं न कहीं तो पेंच ढीला हो रहा है। वैसे कांग्रेस कलह की जननी मानी जाती है। कलह कराना उसके खेल का हिस्सा है, और कलह देखना उसका शौक। और इस शौक की पूर्ति के लिए कलह करवाते रहना उसकी मजबूरी। फिर कांग्रेस कलह से कैसे आजाद हो सकती है। ऊपर से सरकार कांग्रेस की हो और सत्ता संघर्ष के लिए कलह न हो यह कैसे हो सकता है?

हमारे संजय तिवारी ने अपने विस्फोट में कहा है कि कांग्रेस इन दिनों कलह का केंद्र बनी हुई है। संजय तिवारी ने जो विस्फोट किया है, वह पेश है, जस का जस... जयपुर में राहुल गांधी को उपाध्यक्ष बनाने के बाद से उनको प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस का संभावित दावेदार बताया जा रहा है. औपचारिक तौर पर राहुल गांधी भले ही अपनी दावेदारी पर बात भी न करने की बात करते हों लेकिन जानते वे भी हैं कि भविष्य में जो अच्छा बुरा करना है उन्हें ही करना है। लेकिन जयपुर से दिल्ली के बीच ऐसा क्या हुआ कि जो जनार्दन द्विवेदी जयपुर में राहुल गांधी को राजा घोषित कर रहे थे वही अब दिल्ली में राहुल को रंक बताते नजर आ रहे हैं? पहले ब्रिक्स सम्मेलन से लौटते हुए खुद मनमोहन सिंह और अब जनार्दन द्विवेदी जो कह रहे हैं वह राहुल गांधी को दूसरे नंबर का नेता नहीं बल्कि दोयम दर्जे का नेता साबित कर रहा है। मनमोहन सिंह ने जहाज में जिस राजनीतिक जेहाद का संकेत दिया था उसकी प्रतिक्रिया कांग्रेस के भीतर तो होनी ही थी, जो कि हुई भी। लेकिन मंगलवार को जब खुद जनार्दन द्विवेदी ने सामने आकर सोनिया और मनमोहन के बीच के तालमेल को सही बता दिया और भविष्य की संभावना भी जता दिया तो राहुल के राज पर संदेह और गहरा हो गया। क्योंकि पिछले कुछ सालों में कांग्रेस की ओर से जब भी जनार्दन द्विवेदी बोलते हैं तो उसका मतलब यह होता है कि सोनिया गांधी ही बोल रही हैं। पंडित जी ने कड़ी मेहमत से दस जनपथ का अति विश्वसनीय करीबी होने का दर्जा हासिल किया है। दस जनपथ भी उन्हें किसी कीमत पर अपने से दूर नहीं होने देना चाहता। शायद इसीलिए मनमोहन कैबिनेट का सदस्य होने की बजाय वे सोनिया की किचन कैबिनेट के अहम किरदार बनकर खुश हैं। ऐसे में अगर वह सोनिया मनमोहन के बीच के तालमेल में कोई घालमेल नहीं देख पा रहे हैं तो तय है संदेश मैडम की ओर से ही प्रसारित करवाया गया है। जनार्दन के बोल की पोल बहुत गहरी और राह बहुत संकरी है। राहुल गांधी को लेकर कांग्रेस सचमुच सशंकित हो चली है। वैसे भी राहुल गांधी अभी भी बहुत कुछ समझने की प्रक्रिया में ही लगे हैं इसलिए रणनीति का एक पहलू यह भी है कि चुनाव सोनिया मनमोहन के नाम पर ही लड़ा जाए और बहुमत की दशा में किसी नैम पर निर्णय किया जाए। लेकिन इसमें वे कांग्रेसी परेशान हैं जो सोनिया मनमोहन के तालमेल में अब तक कहीं समा नहीं पाये हैं। लिहाजा राहुल राग गाकर उन्हें बैकफुट पर रखना चाहते हैं जो सोनिया मनमोहन के नाम पर फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं। इसी उठा पटक में कांग्रेस का सत्ता संघर्ष एक बार फिर सतह पर उभर आया है। संजय तिवारी ने अंदर की खबर लाकर विस्फोट किया है। विस्फोट यह कि उठापटक भारी है। अपना मानना है कि राजनीति का एक नाम उठापटक भी तो है ही।