Tuesday, May 28, 2013

बीजेपी की बेवकूफी साबित होते जेठमलानी 
-निरंजन परिहार-
बीजेपी अब समझदार लोगों की पार्टी नहीं रही। अटलजी चलते थे और आडवाणीजी की चलती थी, तब तक बीजेपी में और भले ही कुछ भी खराब हो गया हो, पर पार्टी की इज्जत तो कमसे कम कभी खराब नहीं हुई। लेकिन अब तो रोज हो रही है। उसके अपने ही पार्टी पर कीचड़ उछाल रहे हैं। इससे बड़ी बेवकूफी और क्या हो सकती है कि ये कीचड़ उछालनेवाले भी वह खुद ही पैदा कर रही है। हर दूसरे दिन कोई न कोई किस्सा, कोई कहानी सुनने में आती है, जिसमें बीजेपी की बेवकूफियां जाहिर होती हैं। लोग अपने ही हाथ से खुद के सिर में राख डालने का काम कर रहे हैं। कीचड़ उछालने के लिए वैसे भी कोई कम लोग थे, जो बीजेपी को अब इन राम जेठमलानी को पैदा करने की जरूरत पड़ गई। बीजेपी में थोड़ी भी समझदारी होती, तो जेठमलानी को इस उमर में तो कम से कम पार्टी से निष्कासित करने की कारवाई नहीं करती। बाकी सब तो ठीक, पर नरेंद्र मोदी ने यह सब कैसे होने दे दिया, यह समझ में नहीं आ रहा है।
Singer Ila Arun, Actress Juhi Chawala and Media Expert Niranjan Parihar
with Mr. Bhairon Singh Shekhawat at Hotel Centaur, Mumbai

कांग्रेस आम तौर पर ऐसे मामलों में बहुत संयत रहती है। हो हल्ला नहीं करती। बूटासिंह बिहार के गवर्नर थे। लफड़ा किया, बदनाम हुए और कांग्रेस की किरकिरी हुई तो हटा दिया। मुंह बंद करने के लिए एससीएसटी कमीशन का चेयरमैन बना दिया। सन 2009 का लोकसभा का चुनाव आया, तो कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया। भन्नाए हुए बूटासिंह सन 84 से अपनी बपौती कही जानेवाली सीट जालौर से कांग्रेस के खिलाफ लड़ लिए और उसे धूल चटा दी। फिर भी कांग्रेस ने न तो बूटासिंह को एससीएसटी कमीशन से हटाया और न कोई बयानबाजी करके उन्हें भड़काया। धीरे धीरे वक्त पूरा हुआ और बूटासिंह खुद ही अपनी गति को प्राप्त हो गए। ऐसे हजारों उदाहरण हैं। कांग्रेस बीजेपी की तरह उतावलापन नहीं दिखाती। कांग्रेस में किसी के भी होने के अहसास और उसे खोने के खतरों की व्यापक समीक्षा करने के बाद ही कोई मजबूत कदम उठाया जाता है। ऐसा नहीं है कि बीजेपी में ऐसा नहीं होता। होता होगा। लेकिन जेठमलानी पर कारवाई करनेवालों के दिमाग पर दया आती है। दया इसलिए क्योंकि किसी और के खिलाफ कारवाई करते तो कोई बात नहीं। जिंदगी के आखरी पड़ाव पर बैठे 89 साल के बेहद बुजुर्ग जेठमलानी के मुंह लगने की बीजेपी को जरूरत नहीं थी। कुछ दिन बाद वैसे ही ठिकाने लग जाते। पर अब बीजेपी को ठिकाने लगाएंगे। बीजेपी को कांग्रेस से सीखना चाहिए।
अब तक तो जेठमलानी को चुप रहने को कहा जा सकता था। लेकिन पार्टी ने खुद ही रिश्ता खत्म करके उन्हें कुछ भी बोलने को खुला छोड़ दिया। एक घोड़ा, जो भले ही बेलगाम था, पर आप जब चाहते, तब अपने रथ से लेकर तांगे तक में जोत सकते थे। और ऐसा नहीं भी कर सकते, तो कम से कम वह आपकी घुड़साल में तो बंधा था। चारा चरता और पड़ा रहता। लेकिन जब उसे आजाद कर ही दिया, तो अब उसकी हिनहिनाहट भी सुननी पड़ेगी और काटेगा, तो दर्द भी झेलना होगा। सो, भुगतो। जैसे ही जेठमलानी को दरवाजा दिखाया, वे बोले –मैं अब पर्दाफाश करूंगा, चैन से नहीं बैठूंगा

संसार का यह नियम है कि ज्यादा बड़बड़ करनेवालों से दूर ही रहना चाहिए। क्योंकि वे आपके लिए सहायक तो कभी कभार ही साबित होते हैं, लेकिन आफत के रूप में खतरा बनकर सर पर सवार हमेशा रहते हैं। इसे ज्यादा आसान और साफ साफ ढ़ंग से समझना हो, तो जरा इस तरह से समझिए कि भौंकनेवाले कुत्ते अगर आपके घर में होते हैं, तो बाहरी लोगों को वे डराते तो सिर्फ तभी है जब कोई आता हैं। लेकिन अकसर भौंक भौंक कर आपके घर की शांति हमेशा भंग करते रहते हैं। लेकिन हम देखते ही हैं कि इस तरह के कुत्ते पालने के शौकीन भी आदत से मजबूर होते हैं। सो, शांति भंग होने के बावजूद एक के बाद एक, तरह तरह के कुत्तों को पालते रहते हैं। फिर बीजेपी के तो शौक भी ऐसे हैं और नीयती भी। सो, जेठमलानी ने कोई गलत नही कहा है कि बीजेपी आत्मघाती रास्ते पर है।                                     (लेखक राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हैं)