Thursday, May 16, 2013


एक मोदी की ललित कला याद आई चुनाव के मौसम में

-निरंजन परिहार-

ललित मोदी की याद आने लगी है। आनी भी चाहिए। राजस्थान में चुनाव आ रहे हैं। वसुंधरा राजे फिर से कमर कस कर मैदान में हैं। इस मौसम में ललित मोदी की याद आए, तो किसी को कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए। किसी को लग सकता है कि राजस्थान, चुनाव और वसुंधरा राजे की सामूहिक याद तो फिर भी प्रासंगिक है। लेकिन ललित मोदी किस लिहाज से। पर, क्यूंकि ललित मोदी की ललित कलाओं के पन्नों के बिना बीजेपी की तत्कालीन सरकार का इतिहास अधूरा है, सो आज बात ललित मोदी की। वे मोदी, जो सारे वैज्ञानिक संसाधनों के सारे साकार प्रयासों के बावजूद इस जनम में भले ही अपने चेहरे को कोई बहुत खूबसूरती बख्श नहीं बना पाए। लेकिन भारतीय क्रिकेट के चेहरे को विराट किस्म की चमक बख्शने का यश तो उन्हीं के खाते में दर्ज है। जो वास्तव में बहुत सही भी है। लेकिन क्रिकेट का चेहरा बदलकर उसे करीब करीब कोठे पर बैठाने का कलंक भी ललित मोदी के माथे पर ही लगा हुआ है, यह भी सभी जानते हैं।

राजस्थान में पिछली बार जब बीजेपी की सरकार थी, तो सन 2003 से लेकर 2008 तक ललित मोदी एंड कंपनी ने राजस्थान सरकार की खुल्लम खुल्ला और बहुत हद तक बेशर्म मदद से कई कंपनियों के नाम से जमीनों और दूसरे धंधों सहित महलों और हवेलियों तक का जमकर कारोबार किया था। मोदी से बहुत करीबी संबंधों की वजह से उस जमाने की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे पर भी तरह तरह की आंच आई। मोदी के बारे में अब के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही नहीं तब के बहुत सारे बीजेपी सरकार के मंत्री अब भी खुलकर कहते ही हैं कि श्रीमती राजे के आदेश पर बेचारे अफसर सरकारी फाइलें ले कर राम बाग पैलेस होटल के उस कमरे में जाया करते थे, जहां मोदी ठहरा करते थे। फाइलों पर अफसरों को नोटिंग मोदी करवाया करते थे और संबंधित मंत्री उन पर दस्तखत करने के लिए बहुत हद तक बाध्य होते थे। ललित मोदी उस जमाने में राजस्थान सरकार के एक तरह से करीब करीब नीति नियंता ही हुआ करते थे।

सरकारी सांसों में बसकर दलाली को एक निर्विवाद लोकतांत्रिक ललित कला के रूप में स्थापित करनेवाले ललित मोदी के निजी जीवन का इतिहास कोई बहुत उज्ज्वल नहीं रहा। पढ़ाई के दिनों में मोदी ने अपनी मां की एक सहेली मीनल से ही प्यार कर डाला। मां को पता भी नहीं चला, मीनल को पटा लिया और उसी से शादी भी रचाई। मीनल उनसे ऊम्र में नौ साल बड़ी भी थी और तलाकशुदा भी। लेकिन मोदी की ललित कलाओं के लालित्यपूर्ण इतिहास की असल पराक्रम गाथा शुरू हुई राजस्थान में क्रिकेट से। राजस्थान क्रिकेट पर कुंडली मारकर बरसों से काबिज रूंगटा परिवार को शरद पवार की तरफ से जड़ से उखाड़ने का ठेका मोदी को मिल गया। रूंगटा परिवार शरद पवार के बीसीसीआई का अध्यक्ष बनने में सबसे बड़ा रोड़ा था। ललित मोदी ने रूंगटा परिवार का सफाया करके राजस्थान क्रिकेट में अपनी जीजम तो जमा ही ली, राजस्थान की राजनीति में भी अपनी घुसपैठ बना ली।

श्रीमती राजे सीएम बनने से पहले और बनने के बाद भी जब मुंबई आती थी, तो मुंबई में जुहू के समंदर किनारे स्थित ललित मोदी के बंगले में ही अकसर उनका बसेरा होता था। मोदी स्वयं को किस्मत वाला समझते हैं, क्योंकि उनके बंगले के सामने धर्मेंद्र का सनी स्टूडियो है, पास में एक तरफ शिल्पा शेट्टी अपने पति राज कुंद्रा के साथ रहती है, तो दूसरी तरफ पद्मिनी कोल्हापुरे का बंगला अभिनय है। वैसे, पंद्रह साल से जेल में सड़ रहे दिल्ली के कुख्यात अपराधी रोमेश शर्मा का बंगला भी पिछवाड़े में है। इतने सारे चमकदार लोगों के बीच ललित मोदी के बगल में ही घर तो अपना भी हैं, पर अपन किस्मतवाले हैं कि फूटी किस्मत के, यह आज तक समझ नहीं पाए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव की तरह पूरे चुनाव इस बार भी अपन राजस्थान में ही रहेंगे। कोई राजनीतिक जिम्मेदारी भी निभाएंगे। सभाएं होंगी, नारे लगेंगे, वसुंधरा राजे भी मिलेंगी। श्रीमती राजे को मोदी अपनी खास सहेली बताते रहे हैं। पर, इस बार चुनाव में न ललित मोदी मिलेंगे, न उनकी ललित कलाएं देखने को नहीं मिलेंगी। याद उनकी इसीलिए आ रही है। और आपको तो खैर, बहुत कुछ और भी याद आ रहा होगा, लेकिन उसका अपन कुछ नहीं कर सकते !