Thursday, May 16, 2013


इस बार संघ परिवार की दाल गलने नहीं देगी वसुंधरा

-निरंजन परिहार-

वैसे तो श्रीमती वसुंधरा राजे के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहते हुए इसकी संभावना बिल्कुल नहीं है। फिर भी तीन दिन तक जयपुर में चली आरएसएस की बैठक में संघ और बीजेपी के बीच बेहतर तालमेल बनाने पर जमकर विचार हुआ। राजनीति में जो नहीं हो सकता उस पर खूब चिंतन किया जाता है। और बात जब संघ परिवार की हो, तो वहां तो ज्यादातर असंभव पहलुओं पर ही चिंतन किया जाता है। यह अलग बात है कि हर बार चिंतन में से चिंता के अलावा कुछ और नहीं निकलता। वैसे, जयपुर इन दिनों चिंतन शिविर का शहर बना हुआ है। कुछ दिन पहले पूरी की पूरी कांग्रेस चिंतन के लिए पहुंची थी।

संघ परिवार के जयपुर चिंतन में हिंदुत्व पर जमकर चर्चा चली। पर, पता नहीं क्यों संघ परिवार को अब तक यह समझ में नहीं आ रहा कि हमारे देश में विशुद्ध हिंदुत्व कभी चल ही नहीं सकता। फिर भी इस बैठक में संघ परिवार की तरफ से बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं को हिन्दुत्व की घुट्टी पिलाई गई। इसका असर भाजपा की अगली कार्ययोजना में ही नजर आ सकता है। कहते हैं कि चिंतन में शामिल बीजेपी के नेताओं ने संघ परिवार को भरोसा दिलाया है कि वे राम मंदिर, रामसेतु, हिन्दू शरणार्थी और पाकिस्तान व बांग्लादेश में हिन्दुओं की दुर्दशा से जुड़े मुद्दे उठाने को तैयार हैं। बीजेपी ने संघ को उसके अभियान और आंदोलनों में भी पूरे सहयोग के लिए आश्वस्त किया। वोटों की मजबूरी के मारे वे कितना साथ देंगे, यह कौन जानता है।

वैसे, जयपुर ने जितने राजनीतिक चिंतन देखे हैं, उससे कई गुना ज्यादा चिंता राजनेताओं की चेहरे पर देखी हैं। यहां हर कोई चिंता में डूबा है। क्योंकि श्रीमती वसुंधरा राजे तो क्या कोई भी बीजेपी वाला सरकार में रहकर संघ की सेवा थोड़े ही करने के लिए तरस रहा है। संघ परिवार का वोटों पर नियंत्रण अब बिल्कुल नहीं रहा, यह भी सारे ही जानते हैं। फिर भी संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठकों में बीजेपी को उन्होंने चुनावी सहारा देने का भी आश्वासन मिला है। दिल बहलाने के लिए गालिब खयाल क्या बुरा है। संघ परिवार से अपना कहना है कि कमसे कम अब वह बीजेपी की नीति नियंता बनना बंद करके और उसे सुख से जीने दे। क्योंकि बीजेपी का भट्टा जितना उसके अपने नेताओं के अपकर्मों से नहीं बैठा, उससे ज्यादा संघ परिवार के सत्कर्मों से बैठा है।

पिछले विधानसभा चुनाव में राजस्थान में एक प्रकाशजी भाई साहब हुआ करते थे। वे संघ परिवार के तत्व के रूप में हर जगह पाए जाते थे। गीता में भगवान श्रीकृष्ण अपने उपदेश में कहते हैं कि हे अर्जुन, मैं आकाश, वायु, तेज, जल, पृथ्वी के हर तत्व में मौजूद हूं। उसी तरह प्रकाशजी भाई साहब व्याप्त थे। पर, बहुत सारी सीटों पर बीजेपी का कबाड़ा उनकी वजह से ही हुआ। यह बीजेपी भी जानती है, संघ परिवार भी और स्वयं प्रकाशजी भाई साहब भी। लेकिन सावधान... प्रकाशजी भाई साहब अब फिर प्रकट होनेवाले हैं। राजस्थान बीजेपी में पिछले साढ़े चार साल से अटके पड़े संगठन महामंत्री के पद को लेकर भी फैसला होने ही वाला है। हो सकता है, आप जब तक यह पढ़ रहे हों, तब तक फैसला हो भी गया हो। प्रदेश बीजेपी प्रकाशजी भाई साहब से खूब नाराज थी, सो, संघ परिवार ने तत्कालीन संगठन महामंत्री प्रकाशचन्द्र को वापस बुला लिया था। कहा था कि आ जाओ भैया, अब वहां कोई काम नहीं है। प्रकाशजी भाई साहब को बीजेपी से वापस बुलाने के बाद किसी स्वयंसेवक को इस पद के लिए नहीं भेजा। लेकिन अब विधानसभा चुनाव को देखते हुए संघ परिवार संगठन महामंत्री के पद पर फिर से अपने किसी स्वयंसेवक भेजने के लिए बेताब है। भेज दो भैया, जब तय कर ही दिया है, तो भेज ही दीजिए। लेकिन इस बार पक्का है कि वसुंधरा राजे संघ परिवार की तो क्या किसी भी परिवार की दाल गलने नहीं देगी। महारानी साहिबा को वैसे भी किसी और के मोहरे पसंद कहां हैं!