Monday, May 27, 2013

बिल्कुल इंदिराजी के अवतार में आ रही हैं सोनिया गांधी





-निरंजन परिहार-
कांग्रेस ने देश की सरकार के बहुत सारे घोटालों में फंसे मंत्रियों और बाकी नेताओं को भले ही उनकी औकात बता दी हो और अपने आदमी सरदार मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली अपनी यूपीए सरकार को साल भर तक और टिकाए रखने का इंतजाम कर दिया हो, मगर सोनिया गांधी कोई खतरा मोल नही लेना चाहती। उन्होंने चुनाव अभियान की शैली मे देश भर में घूमने की तैयारियां कर लही हैं। राजकुमार राहुल गांधी तो घूम ही रहे हैं। पर अगले कुछेक दिनों में उनके दोरे शुरू हो जाएंगे और कहीं उनके सर पर बांस की टोपी पहने तस्वीरे आपको देखने को मिलेंगी, तो कहीं वे आदिवासियों के साथ लोकनृत्य करती नजर आएंगी। नाम उनका सोनिया गांधी हैं, पर अंदाज बिल्कुल इंदिरा गांधी वाला है।
अगले कुछेक महीनों में वे कई बार राजस्थान भी जाएंगी। मध्य प्रदेश भी जाएंगी और  छत्तीसगढ़ के दौरे भी करेंगी। दिल्ली में तो खैर वे हैं ही। यह सब राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए होगा, लेकिन क्योंकि वे सोनिया गांधी हैं, सो राज्यों के साथ साथ उनका निशाना देश की सत्ता में आने पर भी होगा। वे आनेवाले कुछ दिनों में महाराष्ट्र भी जानेवाली है जहां शरद पवार की जबरदस्त चलती है और बीजेपी के साथ साथ राज ठाकरे की पार्टी ने भी अपना अच्छा खासा वोट बैंक विकसित कर लिया है। शिवसेना का भी महाराष्ट्र में खूब असर है। और इन सबके बीच पृथ्वीराज चव्हाण ने कांग्रेस को कहां लाकर खड़ा कर दिया है, यह भी वे जानती हैं। सोनिया गांधी को इस बात का भी अच्छी तरह अहसास है कि यूपी और बिहार कांग्रेस के हाथ से चला गय़ा है। कहा जाता है कि कोई चमत्कार ही अब इन दो राज्यों को फिर से कांग्रेस के हाथ में ला सकता है। इटली में जन्म लेने के बावजूद सोनिया गांधी अब पूरी तरह से भारतीय हो गई है, सो अब वे सतयुग और कलयुग में भी विश्वास करने लग गई हैं, और जानने लग गई हैं कि कलयुग में चमत्कार नहीं होते। सो, वे यह समझती हैं कि महाराष्ट्र भी हाथ से गया तो अगली सरकार बनाने में अच्छी खासी दिक्कतें आ सकती है।
राहुल गांधी और इनकी राजनीतिक कोशिशें कहने को तो कांग्रेस के भले के लिए हो रही हैं। पर, सही मायने में उनके प्रयास अभी भी पता नहीं किस दिशा में जा रहे हैं, यह सिर्फ राहुल गांधी ही समझ रहे होंगे। इस देश को तो कमसे कम कुछ भी समझ में नहीं आ रहा। फिर कांग्रेस के पास श्रीमती सोनिया गांधी से ज्यादा बड़ा और कांग्रेस की जीत को सुनिश्चित करवाने वाला कोई दूसरा नेंता नही है और जाहिर है कि सोनिया गांधी अपनी इस महिमा को अच्छी तरह समझती है और इसलिए वे अभी से चुनाव अभियान मुद्रा में आ गयी है। सोनिया गांधी के संसदीय तेवर देर से ही सही, राजनीति की भाषा सीख गए हैं और लुभाने भी लगे हैं। भाषण चुनावी अंदाज मे करना वे सीख ही गई हैं।
श्रीमती गांधी जानती हैं कि ऐसा कतई नहीं है, फिर भी मनमोहन सिंह को देश का अब तक का सबसे काबिल प्रधानमंत्री करार देकर उनके सारे पाप धो देती हैं। सरकार की ढ़ाल तो वे हमेसा से ही रही है, पर लगता हे कि आनेवाले महीनों में वे पूरी तरह से सरकार की खैरख्वाह बनकर उभरेंगी। वजह यही हैं कि वे वर्तमान में रहने की सारी राजनैतिक ललित कलाएं एक साथ प्रस्तुत करना सीख गई है। वैसे, दस जनपथ से जो खबरें आ रही हैं, उनके मुताबिक कांग्रेस यह मान कर चल रही है कि अगले आम चुनाव के बाद भी सरकार तो उनकी अगुवाई में ही बनेगी। यूपी से उसे कोई बहुत उम्मीद नहीं है। राजस्थान में भी लोकसभा की उसकी सीटें कम हो जाएंगी। दस जनपथ के वफादारों का मानना है कि बहुत सारी दुखी आत्माएं भी अंततः धर्मनिरपेक्षता के टोटकों की वजह से कांग्रेस के ही साथ आने को मजबूर होंगी। मतलब, सोनिया गांधी को यह समझ कर चल रही हैं कि अगले साल भर के खेल में मैदान में पूरी तरह वे ही रहेंगी। इंदिराजी भी साल भर पहले से ही सी तरह से कमर कस लेती थीं।  (लेखक राजनीतिक विशलेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार हैं)