Thursday, May 16, 2013


मनमोहन सिंह की सरकार में क्या बदला

-निरंजन परिहार-


देश की सरकार में फेरबदल के बाद भी लोग निराश हैं। रविवार को कुछ उम्मीद थी, कि कुछ अच्छा होगा। लेकिन वे लोग ज्यादा निराश हैं, जिनको कांग्रेस से उम्मीद कुछ ज्यादा थीं। ना तो यह सरकार भ्रष्टाचार से लडेंगी और ना ही महंगाई से। कुछ भी नहीं बदलेगा। वैसा ही रहेगा, जैसा था। देश की अब तक की सबसे भ्रष्ट और सर्वाधिक बदनाम सरकार के सरगना मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में फेरबदल करके कांग्रेस की आका सोनिया गांधी देश को एक बेहतर सरकार देगी, यह सभी को लग रहा था। लेकिन कुछ नहीं बदला। सिर्फ कुछ चेहरे बदले हैं। पर, हालात जस के तस हैं। केंद्र की सरकार में रविवार को जिन लोगों को प्रमोशन मिला और जो नए शामिल हुए उनमें भी कोई कम भ्रष्टाचारी नहीं हैं। यह अपनी समझ से परे है कि फेरबदल करके सोनिया गांधी ने क्या संदेश देने की कोशिश की है। हालांकि कांग्रेस ने आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर यह फेरबदल किया है, यह जरूर लग रहा है। पर, इसका कांग्रेस कोई फायदा मिलेगा, इस पर अपने को भरोसा नहीं है। अपना मानना है कि मंत्रिमंडल में ताजा फेरबदल के बाद भी यह साफ है कि सरकार की जो साख कमजोर हो चुकी है, वह मजबूत नहीं होगी। और जो चमक फीकी पड़ गई है, उसमें इस बदवलाव के बावजूद कोई नई रौनक आनेवाली नहीं है।

विकलांगों के नाम पर लाखों का फर्जीवाड़ा करके देश में खुद तो बहुत बदनाम हुए ही, पूरी कांग्रेस पार्टी को भी बदनाम करनेवाले सलमान खुर्शीद को राज्यमंत्री से प्रमोशन देकर केबीनेट मंत्री बना दिया गया है। वे विकलांगों के पैसे खाने के बाद अब देश के विदेश मंत्री होंगे। सुबोधकांत सहाय की सरकार से छुट्टी कर दी गई। माना जा रहा है कि कोयले की दलाली में उनके हाथ काले थे। लेकिन उसी कोयला घोटाले में तो श्रीप्रकाश जायसवाल भी गले तक डूबे हैं। वे तो अब भी सरकार में बने हुए हैं। उनकी कुर्सी को कोई आंच तक नहीं आई। कोयला घोटाला सरकार के लिए अगर मुद्दा होता, तो जायसवाल भी जरूर जाते। पर, ऐसा नहीं हुआ। मतलब पौने तीन लाख करोड़ का कोयला घोटाला मनमोहन सिंह सरकार के लिए कोई मुद्धा नहीं है। कर्नाटक से केंद्र सरकार में शामिल किए गए के रहमान का दामन भी बहुत दागदार है। उन पर दो सौ करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी आका सोनिया गांधी यह अच्छी तरह जानते हैं कि कर्नाटक में के रहमान जब अमानत कॉपरेटिव बैंक के बोर्ड में थे। उसी दौरान उन्होंने करीब दो सौ करोड़ रुपए का घपला किया। फिर भी उन्हें सरकार में शामिल किया गया है।

माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में बदलाव प्रादेशिक संतुलन को मजबूत करने की कोशिश है। लेकिन यह तर्क भी गले नहीं उतरता। क्योंकि राजस्थान में शेखावाटी के दमदार जाट नेता महादेव खंडेला हटाकर जोधपुर राजघराने की बेटी और बहुत ही शालीन महिला सांसद चंद्रेश कुमारी को केबिनेट मंत्री बनाया गया है। लेकिन उनकी ना तो राजस्थान में कोई राजनैतिक साख है और ना ही कोई जातिगत जनाधार। खंडेला को हटाने से जाट नाराज होंगे, यह तय है। दिनशा पटेल कल तक राज्यमंत्री हुआ करते थे। उनको केबिनेट मंत्री की शपथ दिलाई गई। इसके पीछे कांग्रेस गुजरात का चुनाव देख रही है। कांग्रेस को लग रहा है कि दिनशा पटेल का कद बढ़ेगा, तो गुजरात में पार्टी प्रभाव भी बढ़ेगा। पर यह संभव नहीं है। दिनशा पटेल अपने पूरे राजनीतिक जीवन में ऐसा कोई तीर नहीं मार पाए, जिससे कांग्रेस को फायदा हो। आंध्र प्रदेश से सबसे ज्यादा पांच मंत्रियों को लेकर कांग्रेस ने वहां पर जगन मोहन रेड्डी का प्रभाव कम करने के सपने पाले हैं। लेकिन पिछले उपचुनाव में आंध्र की जनता ने कांग्रेस द्वारा जेल में ठूंस दिए गए जगन के समर्थन में जो जलवा दिखाया है, उसे देखकर कांग्रेस की उम्मीद पूरी होना कम संभव लगता है। इसी तरह पश्चिम बंगाल से बी तीन मंत्री बनाकर सोनिया गांदी ने ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस को टक्कर देने का कोसिश की है। पर, हाल ही में संपन्न उपचुनाव में राष्ट्रपति के बेटे का सिर्फ दो हजार वोट से जीतना कांग्रेस की खराब हालत को दर्शाता है। नए मंत्री इस हालात को ठीक कर पाएंगे, यह किसी को भरोसा नहीं है।

दरअसल, कांग्रेस को लग रहा है कि हिंदी बेल्ट में उसकी हालत खराब है। उसको ठीक करना बहुत मुश्किल काम है। इसीलिए गैर हिंदी भाषी प्रदेशों में ध्यान दिया जाए। लेकिन मंत्रिमंडल में शामिल नए और पुराने चेहरों में कोई भी चेहरा ऐसा नहीं है, जो कांग्रेस का जनाधार या तो लौटा सके, या बढ़ा सके। और देश को जवाब दे सके कि महंगाई कैसे रोकी जा सकती है, या भ्रष्टातार पर कांग्रेस कैसे नकेल सकेगी। इस पेरबदल के बाद अपने मन में तो है की, देश के आम आदमी के मन में यह सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर कांग्रेस के लिए भ्रष्टाचार, महंगाई और क्यों कोई बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है। क्यों महंगाई कम करना कोई मुद्दा न ही है। अपने को तो यही लगता है कि दागदार और भ्रष्टाचार के आरोप लगे मंत्रियों की भरमार वाले इस मनमोहनी मंत्रिमंडल की सूरत भले ही कुछ बदल गई हो पर, सीरत अब भी वैसी ही है। आपको भी ऐसा ही लगता होगा।