Sunday, May 19, 2013


...तो इसलिए सीबीआई को आजाद किया जा रहा है!

-निरंजन परिहार-

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह चाहे कितने भी चिढ़ें, लेकिन सीबीआई का नया नाम चल पड़ा है। देश भर में बच्चे बच्चे की जुबान पर सीबीआई के पर्यायवाची के रूप में सरकारी तोता खूब उड़ने लगा है। अब तक सरकारी पिंजरे में बंद रहा यह तोता आजाद होनेवाला है। सीबीआई को मुक्त करने की तैयारी हो रही है। मंत्रियों का एक समूह बना लिया गया है और चिदंबरम उसके चेयरमैन हैं। लेकिन सरकार में ही बैठे कई लोग बहुत सारे घोटालों में फंसे हैं। नजारा शानदार है। मजा आएगा। सरकार से आजाद होकर यह तोता किसके लिए आफत बनेगा, देखने वाली बात होगी।

परम आदरणीय सरदार श्रीमान मनमोहन सिंहजी के हमारे देश के पीएम रहते हुए अब तक कोलगेट, रेलगेट, खेलगेट, टूजी जैसे करोडों - करोड़ के जाने क्या क्या और कितने कितने घोटाले हुए हैं। उनमें कई लोगों पर कई किस्म के आरोप हैं। जिनमें से कइयों पर तो अपराध साबित भी हो चुके हैं। उनमें से कुछ जेल में हैं। कुछ वहां जाकर आ गए हैं। तो कुछ का नंबर लगनेवाला है। इतना सब कुछ होने के बाद हमारे सरदारजी से तो कम से कम इस ईमानदारी की उम्मीद करना तो बेकार है कि वे सरकारी तोते को आजाद करने की ईमानदार कोशिश में हैं। लगता है मन में कोई तो खोट है। हालात जिस तरह के हैं, ऐसे में सरदारजी की मंशा को नए सिरे से समझने की जरूरत है। हमारे सरदारजी राजनेता भले ही नहीं हैं, पर दिमागवाले आदमी तो हैं ही। नहीं होते तो, दूसरी बार भी लगातार पीएम के पद पर नहीं आते और पूरे नौ साल तक पीएम कैसे रहते। सो, दिमाग से काम ले रहे हैं। कहावत है कि अच्छा शासक वही होता है, जो अपने अच्छे दिनों में बुरे दिनों का इंतजाम कर ले। अर्थशास्त्री होने के बावजूद महंगाई रोकने के मामले में सरदारजी भले ही ढक्कन साबित हुए हैं। पर, गांधी परिवार के प्रति वफादारी के स्वांग में तो वे सफल हुए ही है।

सरदारजी और हमारी कांग्रेस फिलहाल सत्ता में हैं। वे सीबीआई को स्वायत्त करने की कोशिश कर रहे हैं। अपना मानना है कि यह बुरे दिनों का इंतजाम है। आप यह मान सकते हैं कि संभवतः सरदारजी और कांग्रेस को यह लग रहा होगा कि अगली सरकार उनकी नहीं आने वाली। कांग्रेस विपक्ष में रहकर सरकार पर वार कर सके, इसकी तैयारी उसने अभी से शुरू कर दी है। लेकिन कांग्रेस आलाकमान अपनी ताकत की सीमाएं जानता है। इसीलिये सीबीआई को स्वायत्तत बनाने की पहल शुरू की है। एक तीर से दो शिकार हो रहे हैं। अगले लोकसभा चुनाव में वह जनता के बीच इस संदेश के साथ जा सकती है कि सुप्रीम कोर्ट की सलाह और जनभावना का खयाल करते हुए उसने सरकारी तोते को आजाद कर दिया। और वैसे, चुनाव में कुछ भी हो सकता है। सो, जीत गई, तो तोते को फिर से पिंजरे में कैद करने से कौन माई का लाल रोकेगा। और, सरकार नहीं आई, तो फिर भले ही किसी की भी सरकार आएगी, उसके लिए कांग्रेस एक ऐसी बड़ी मुसीबत खड़ी करके जाएगी कि जिसके चलते उस सरकार में बैठे लोगों का जीना और सरकार का चलना ही दूभर हो जाएगा।

वैसे, दिग्गी राजा तो कह ही रहे हैं कि सीबीआई को आजाद करहने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि आजाद हो गई तो फिर निरंकुश होने में भी कोई देर नहीं लगेगी। फिर सरकार आखिर क्यूं होती है। दिग्गी राजा ठीक कह रहे हैं। पर, हो सकता है सीबीआई को स्वायत्तता देने के पीछे कांग्रेस की कुछ मजबूरियां भी हो सकती है। लेकिन फिलहाल तो बीजेपी मजबूर लग रही है। बीजेपी ने ऐलान किया था कि यदि अगली सरकार उसकी आई तो वह सीबीआई को स्वायत्तता के लिए प्रयास करेगी। सो, संसद में अब बीजेपी को सीबीआई की स्वायत्तता के मामले में कांग्रेस का समर्थन करना पड़ेगा। अगर सब कुछ ठीकठाक रहा, तो अगली सरकार बनने तक कांग्रेस सीबीआई को स्वायत्त कर चुकी होगी, जो अगली सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द साबित होगा।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार हैं)