Thursday, May 16, 2013


राजस्थान में किस कांग्रेस को जिंदा करेंगे राहुल गांधी ?

-निरंजन परिहार-

राहुल गांधी राजस्थान आ रहे हैं। कांग्रेस का हाल, हुलिया और हालत सुधारने। बीकानेर और जयपुर में वे कार्यकर्ताओं से मिलेंगे, उनकी सुनेंगे। नेताओं से मिलेंगे, बातचीत करेंगे। हल निकालेंगे और कांग्रेस को पुनर्जीवित करेंगे। कहा तो यही जा रहा है। लेकिन राजस्थान के, खासकर मारवाड़ के कुछेक जिलों में कांग्रेस की सदगति या दुर्गति जो भी है, उसको ठीक करने में राहुल गांधी कामयाब हों जाएंगे, यह अपन नहीं मानते। लेकिन इतना जरूर है कि जिलाध्यक्ष और विधायक लेवल के जिला स्तरीय नेताओं में थोड़ा सा डर बैठ गया है। कार्यकर्ता राहुल गांधी के सामने कहीं उनकी पोलपट्टी ने खोल दे, इसके लिए वे साम - दाम से कार्यकर्ताओं के मुंह बंद करने की कोशिश कर रहे हैं। मामला मुंह पर ताला लगाने का है। लेकिन पार्टी की असल परेशानी यह है कि हर जिले में संगठन स्तर पर उसका ढ़ांचा पूरी तरह से कागजी बनकर रह गया है।

पिछले कई वर्षों से लगातार जिला संगठनों के पुनर्गठन होने के बावजूद कांग्रेस संगठन में बदनाम, नाकारा, अयोग्य, असफल, निकम्मे और बेकार लोगों की फौज भरी पड़ी है, जो बेहतर लोगों के लिए दरवाजे बंद करके बैठी है। अशोक गहलोत भले सीएम हैं, पर उनके कामकाज को जनता तक पहुंचाने का काम कार्यकर्ता कर ही नहीं पा रहा है, क्योंकि हर जिले में फजीहत करानेवाले लोग पदों पर काबिज हैं। पाली जिले में बीते तीस सालों से कांग्रेस लफड़े में पड़ी हुई है। वहां कोई किसी को गांठता ही नहीं है। नब्बे के दशक में पाली की आठ सीटों में से पांच कांग्रेस के पास थी, उनमें से कुल तीन मंत्री। रघुनाथ परिहार बाली से, बीना काक सुमेरपुर से और माधवसिंह दीवान सोजत से। एक मांगीलाल आर्य भी थे, जो चुनाव तो जालौर से लड़ते थे, लेकिन रहनेवाले पाली के हैं और मंत्री थे। इस तरह चार - चार बनाकर उस जमाने के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक गहलोत ने पाली जिले में कांग्रेस को मजबूत बनाने का काम किया था। पर पाली की पंचायत वहीं की वहीं रही। उसके बाद तो पाली की राजनीति कांग्रेस के लिए रसातल में उतरती चली गई। सीडी देवल ने और भट्टा बिठा दिया। अब बरबाद कांग्रेस की कमान कुठ दिन पहले अजीज दर्द को मिली है। जब वे जवां थे, तो अजीज के दिल में कांग्रेस के लिए बहुत दर्द हुआ करता था, लेकिन आज बुढ़ापे में वे क्या उखाड़ पाएंगे। अशोक गहलोत का शुरू से ही पाली जिले से लगाव रहा है, पर पाली का मामला कभी ठीक हो ही नहीं पाया।

पास के जिले सिरोही में एक जमाने में देवी सहाय गोपालिया जिला कांग्रेस के अध्यक्ष थे। वे जब तक जिए, कांग्रेस की नाक नीचे नहीं होने दी। लेकिन बाद में कांग्रेस का कबाड़ा हो गया। दोयम दर्जे के लोग पार्टी में पदों पर आते हैं, तो ऐसा ही होती है। उनके बेटे राजेंद्र गोपालिया भी जिलाध्यक्ष रहे, उनमें संभावना भी बहुत थी, पर वे विधानसभा में पहुंचने को कोशिश में बहुत बड़ी गलती कर बैठे। उनके बाद सिरोही जिले में कांग्रेस को कोई दबंग, दमदार और जनाधार वाला जिलाध्यक्ष नहीं मिला। सिरोही में रामलाल सोलंकी कांग्रेस के आखरी विधायक थे, जो बहुत दमदार तो थे ही, कांग्रेस को गांव गांव में मजबूत करने में भी उनका सबसे ज्यादा योगदान रहा। लेकिन सोलंकी के बाद कांग्रेस में किसान, पिछड़े और गरीब के सारे सहारे एक एक करके किस तरह टूटते गए, और किसने कांग्रेस का विधायक बनकर कर भी कांग्रेस का ही भट्टा किस तरह बिठाया, यह किसी को बताने की जरूरत नहीं हैं। उधर, रेवदर में छोगाराम बाकोलिया जब तक विधायक रहे, मंत्री रहे, और अब, ईश्वर करे वे स्वर्ग में हों, पर स्वर्ग में होने से कांग्रेस का कबाड़ा करने के उनके अपराध कम नहीं हो जाते। रेवदर में बाकोलिया थे, कांग्रेस नहीं थी। अब नीरज डांगी हारने के बावजूद रेवदर के लिए लड़ रहे हैं, पर वहां के किस कांग्रेसी पर कितना भरोसा किया जा सकता है, यह सभी जानते हैं। कमोबेश यही हाल पूरे प्रदेश में कांग्रेस का है। फिर, पता नहीं किस कांग्रेस को पुनर्जीवित करने राहुल गांधी राजस्थान आ रहे हैं!