Thursday, May 16, 2013


सरदार और सरदारनी दोनों नाराज अपनी ही पार्टी से

-निरंजन परिहार-

सरदारजी बीजेपी से नाराज हैं। और सरदारनी उनसे भी ज्यादा। इतनी ज्यादा कि खूब भड़ास निकाल रही हैं। सरदारजी की बोलती बंद है और सरदारनी बोले जा रही है। फेसबुक के जरिए भड़क रही हैं। अपन बात यहां अपनेवाले माननीय सरदार मनमोहन सिंह की नहीं, बीजेपीवाले सरदार नवजोत सिंह सिद्दू की कर रहे हैं। सरदारनी का नाम भी नवजोत ही है, नवजोत कौर सिद्धू। दोनों पति पत्नी हैं। पति क्रिकेटर तो पत्नी डॉक्टर। ऐसा कम ही होता है कि पति और पत्नी दोनों का नाम एक जैसा ही हो। लेकिन जो कहीं आसानी से संभव नहीं हो, वह पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत में ही सहज संभव है। पंजाबी संस्कृति को इसीलिए हर जगह सम्मान मिलता है। हमारी फिल्मों में गीतों से लेकर लंदन तक के हर कोने में पंजाब, पंजबी और पंजाबियत का बहुत सम्मान हम देख ही रहे हैं लेकिन यह भी देख रहे हैं कि बीजेपी में सरदार नवजोत सिंह सिद्धू को सम्मान नहीं मिल रहा। क्या किया जाए।

नवजोत सिंह क्रिकेट के स्टार हैं, बीजेपी के स्टार प्रचारक भी और टीवी के भी स्टार भी। फिर भी ना जाने बीजेपी क्यूं अपने इस इस स्टार नेता की चमक का उजाला देख नहीं पा रही है। सरदारजी इसीलिए अपनी पार्टी के सारे असरदार नेताओं से नाराज हैं। नाराजगी इतनी है कि उसे व्यक्त करने के लिए भी सिद्धू ने मंच पार्टी का नहीं चुना, शायद इसलिए क्योंकि वहां से उनको कोई उम्मीद नहीं हो। सिद्धू ने मंच चुना फेसुबक, और माध्यम के रूप में व्यक्ति चुना पत्नी को। सिद्धू की पत्नी पेशे से डॉक्टर हैं। डॉक्टर साहिबा ने चुनाव लड़ने की खातिर पंजाब के स्वास्थ्य विभाग की नौकरी से इस्तीफा दिया था। अब वे खुद विधायक हैं। बीबीजी बोलीं, सिद्धू बीजेपी के स्टार प्रचारक हैं और पार्टी में अलग-थलग पड़ने पर नाराज हैं। बीबीजी ने संकेत भी दिए हैं कि सिद्धू की पार्टी में कोई अहमियत नहीं है। फेसबुक पर नवजोत कौर का कहना है कि सिद्धू वापस क्रिकेट और मनोरंजन की दुनिया में लौटेंगे। नवजोत कौर का यह भी कहना है कि अमृतसर और पंजाब के विकास के लिए सिद्धू ने बहुत कुछ किया है, लेकिन पंजाब की राजनीति में जिस तरीके से सिद्धू को दरकिनार किया गया है, वो ठीक नहीं है।

नवजोत कौर ने फेसबुक पर जो लिखा, उसका मजमून यही है कि सिद्धू को पूरे पंजाब तो दूर अमृतसर में भी अपनी मर्जी से काम नहीं करने दिया जाता। क्योंकि वे भ्रष्ट नेताओं और ऐसे लोगों को आगे नहीं बढ़ाएंगे जो विपक्ष के साथ मिलकर अपने ही लोगों को हराने के लिए काम करते हैं। लोगों की संपत्ति हड़पने में साथ नहीं देंगे, अपराधियों की मदद करने के लिए पुलिस अफसरों को फोन नहीं करेंगे? नतीजा ये कि वो उसी प्रोफेशन में लौट गए हैं, जहां उनके काम का सम्मान होता है, उनकी ईमानदारी की इज़्ज़त होती है और वो अपने परिवार के लिए पैसे कमाते हुए शानदार जिंदगी जी सकते हैं। बुराई की जीत हुई है...कलियुग है...अमृतसर ने एक सच्चा नेता खो दिया है। श्रीमती सिद्धू ने बहुत कुछ और भी कहा। उनके कहने का सीधा सा मतलब निकाला जाए, तो बीजेपी में इन दिनों भ्रष्ट लोगों को ही सम्मान मिल रहा है। दर्द जब हद से गुजर जाता है, तो वह इसी तरीके से कहीं से भी छलक पड़ता है। वैसे, आप भी जानते ही हैं कि सरदार नवजोत सिंह सिद्धू खुद बहुत अच्छा बोलते हैं। और यह भी कोई आपको बताने की जरूरत नहीं है कि सरदारजी जब बोलते हैं, तो दूसरों की बोलती बंद कर देते हैं। लेकिन फिर भी पता नहीं क्यूं उनकी खुद की बोलती बंद है और बीबीजी बोल रही हैं। वैसे, राजनीति में ऐसा ही होता है। सिद्धू राजनीति सीख गए हैं। खुद चुप हैं और पत्नी से फेसबुक पर बुलवा रहे हैं। लेकिन सरदारजी..., राजनीति में तो लोग पूरी जिंदगी खपा देते हैं, पर सरपंच भी नहीं बन पाते। आप खुद सांसद और पत्नी भी विधायक... फिर और कितना, क्या और किसके लिए चाहिए ? मजे करो ना य़ार...! (लेखक राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हैं)