Saturday, May 25, 2013


राजस्थान बीजेपी में कितना
निखार लाएंगे यादव और सौमैया
-निरंजन परिहार-
राजस्थान बीजेपी में प्रभारियों के कप्तान तो कप्तान सिंह सोलंकी हैं। लेकिन पूर्व सांसद किरीट सोमैया ओर राज्यसभा सांसद भूपेंद्र सिंह यादव भी प्रदेश में सह प्रभारी के रूप में काम काज संभालेंगे। किरीट सोमैया पहले भी राजस्थान के सह प्रभारी रहे हैं। उनको आप थोड़ा बहुत जानते ही हैं। पर, भूपेंद्र सिंह यादव जब से राजस्थान में राजनीतिक रूप से सक्रिय हुए हैं, तब से ही लोग थोड़ा बहुत जानने लगे हैं। पर कुल मिलाकर उनके बारे में राजस्थान के लोग कम ही जानते हैं। यादव एड़वोकेट हैं, और सोमैया चार्टर्ड अकाउंटेंट। एक तरह से कहा जा सकता है कि दोनों वकील। लेकिन फिलहाल दोनों जनता के वकील के रूप में काम कर रहे हैं। एक संसद में हैं, तो दूसरा सड़क पर। दोनों राजनीति में अपेक्षाकृत युवा हैं।

पहले बात किरीट सौमैया की। दुनिया भर के बहुत सारे उल्टे सीधे रास्तों से खूब कमाई करके ईमानदारी के देवता के रूप में अचानक प्रकट हुए अरविंद केजरीवाल तो खैर, अब पैदा हुए हैं। और जितनी तेजी से उनका ग्राफ उभरा, उससे भी ज्यादा तेजी से बरबाद भी हो गया। लेकिन किरीट सौमैया का बड़े लोग की पोल खोलने का शगल बहुत पुराना है। हर्षद मेहता इस लोक से विदा हो गए, पर उनके तत्काल बाद 1993 में केतन पारेख से लेकर राज्यों और केंद्र के बहुत सारे नेता, कई बड़े अफसर, क़ॉरपोरेट जगत के बड़े बड़े लोग और अब गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल तक बहुत सारे नामी गिरामी लोग सोमैया नामक दहकते अंगारे की आग में झुलसे हुए हैं। बीजेपी के बाहर भी उनको फायर ब्रांड नहीं बल्कि अपने आप में आग का गोला माना जाता है। कहा जाता है कि किरीट सोंमैया उस भयानक भूत की तरह हैं, जो जिसको लग जाए तो फिर बिना जिंदगी लिए मानता ही नहीं है। आपको शायद जानकारी नहीं हो तो अपन बता देते हैं कि सौमैया के पोल खोलने की वजह से कई सारे बेईमान लोग सदा के लिए राजनीति के रसातल में चले गए और शेयर बाजार में आजकल ये जो लेन देन की बहुत क्लीयर ट्रांसपेरेंसी आई है, यह किरीट सौमैया का ही करतब है। 
  सांसद भुपेंद्र यादव बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव हैं। चवालीस साल के हैं और 50 साल की ऊम्र तक तो राजनीति में हर किसी को जवान ही माना जाता है, सो वे जवान ही हैं। सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं। होने को तो, संसद के दोनों सदनों में जो कुल 130 के करीब वकील हैं, उन्हीं में से एक भूपेंद्र यादव भी है। लेकिन राजस्थान के लिहाज से देखें तो भूपेंद्र यादव बाकी वकीलों से बहुत अलग हैं। और, राजस्थान की राजनीति से वे किस हद तक वाकिफ हैं, इसकी बानगी देखनी हो तो सिर्फ इतना भर जान लीजिए कि केकड़ी की राजनीति में किसकी हेकड़ी चलती है और पुष्कर में किसको खुश कर राजनीति में सफल हुआ जा जाता है, यह भी वे अच्छी तरह जानते हैं। सांसद भूपेंद्र यादव का राजस्थान और खासकर अजमेर से जन्मजात रिश्ता है। अजमेर में लंबे अर्से तक एबीवीपी का काम किया है और उस जमाने में जीसीए के नाम से विख्यात राजकीय महाविद्यालय छात्र संघ के उपाध्यक्ष भी रहे, जो अपनी पढ़ाई के लिए जितना विख्यात था, उतना ही वहां के छात्रों की ताकत और जातिवादी गुटों के लिए कुख्यात भी। वे यादव है और राजस्थान के जयपुर, अजमेर, भरतपुर, दौसा, अलवर, करौली, धौलपुर, सवाई माधोपुर और टौंक आदि यादव बहुल जिलों की राजनीतिक धारा को नया मोड़ देने में उनका भरपूर उपयोग किया जा सकता है। मतलब यह है कि यादव से पार्टी को बहुत उम्मीद है। यह महत्वपूर्ण तो है ही जिम्मेदारी भी है। सोमैया और यादव को बीजेपी की तरफ से उनको भले ही प्रदेश का सह प्रभारी बनाया गया है, पर वसुंधरा राजे को पता है कि किसको क्या जिम्मा देकर कि किस का कैसे कैसे दोहन करना है। यादव राजस्थान में वसुंधरा राजे की सुराज संकल्प यात्रा के संयोजक कोई यूं ही नहीं हैं। अब देखते हैं दोनों सह संयोजक राजस्थान में क्या असर दिखाते हैं।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हैं)